भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) के बालाघाट (balaghat) और मंडला mandla जिले में अमानक चावल बांटे जाने का मामला गरमा तो जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री (chief minister) शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू (eow) से कराने की बात कह चुके हैं और कई मिलर के खिलाफ कार्रवाई शुरू भी हो चुकी है, लेकिन इस पूरे मामले में अब सियासत भी गरमा गई है।
खुद बीजेपी ने इस घोटाले के लिए पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार (kamalnath government) को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कमलनाथ सरकार के समय के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की भूमिका को लेकर अब कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी (surendra chaudhri) का सीधा आरोप है कि इस मामले में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (govind singh rajput) की चुप्पी यह बताती है कि जरूर दाल में कुछ काला है।
दरअसल इस पूरे मामले में सागर (sagar) जिले में भी चावल राशन दुकानों से वितरित हुआ था। चौधरी का आरोप है कि जो चावल जानवरों के खाने योग्य नहीं था, उसे किराने की दुकानों के माध्यम से आम जनता को वितरित किया गया। हैरत की बात यह है कि यह सब उस समय हुआ जब कोरोना अपने चरम पर था और आम आदमी को जीने के लाले पड़े थे। चौधरी का यह भी कहना है कि कमलनाथ सरकार को लेकर गोविंद राजपूत यह जरूर कहते रहे हैं कि उनके कार्यकाल में हमारी सुनवाई नहीं होती थी लेकिन अब तो शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री हैं जहां उनकी सुनवाई भी है और उनकी मनमर्जी के काम भी हो रहे हैं, तो फिर वह इस चावल घोटाले पर चुप क्यों हैं। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस गोविंद राजपूत के खिलाफ आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी मुद्दा बनाने जा रही है।