मप्र उपचुनावों से पहले सक्रिय अतिथि विद्वान, Teacher’s Day पर उठाई नियमितीकरण की मांग

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जब जब चुनाव आते है हर वर्ग अपनी मांगे सरकार के सामने रखना शुरु कर देता है। मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) में 27 सीटों पर उपचुनाव  (By-election) होना है, हालांकि अभी तारीखों का ऐलान नही हुआ है, लेकिन इसके पहले युवाओं से लेकर शिक्षक तक ने अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद करना शुरु कर दिया है। अब दो दशकों से नियमितीकरण के लिए संघर्षरत महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों (Guest scholars) ने प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) से नियमित करने की मांग उठाई है।हैरानी की बात तो ये है कि इन्ही अतिथि विद्वानों को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कमलनाथ सरकार में सड़क पर उतरने की चेतावनी दी थी और फिर भाजपा में शामिल हो गए, बावजूद इसके अतिथि विद्वानों की मांग को पूरा नही किया गया और अब कोरोना काल में वे रोजी-रोटी के लिए भी दर दर भटक रहे है।

मोर्चा के संयोजक व महासंघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह (Dr. Devraj Singh) का कहना है कि इसी अतिथि विद्वान नियमितीकरण के मुद्दे पर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार (Kamalnath Sarkar) का पतन हुआ व शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhaan) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार बनी, लेकिन सत्ता के केंद्र पर रहे इस चर्चित मुद्दे पर वर्तमान शिवराज सरकार एक भी कदम अभी तक आगे नही बढ़ी है।

अतिथि विद्वानों के हाथ अब भी खाली-डॉ मंसूर अली

संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि शाहजाहानी पार्क भोपाल में अतिथि विद्वानों का आंदोलन कई महीने तक चला जो मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन साबित हुआ और इसी आंदोलन ने सत्ता की जड़ों को हिलाकर रख दिया।इस आंदोलन में सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित सभी वर्तमान कैबिनेट मंत्री तक आए और सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों के अविलंब नियमितीकरण की बात भी कही।किन्तु यह बात भी अब तक कोरा चुनावी वादा ही साबित हुआ है। यहां तक कि अतिथि विद्वानों की दुर्दशा से द्रवित होकर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की धमकी दे डाली थी किन्तु यह विडंबना ही है कि इतने संघर्षों के बाद भी अतिथि विद्वानों के हाथ अब भी खाली। मंजूरी के बाद भी वित्त विभाग के पास नही पहुंचा

कैबिनेट से मंजूरी लेकिन विभाग तक नही पहुंचा-आशीष पांडेय

संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए शासन प्रशासन से अनुरोध किया है कि आज 9 महीने बाद सरकार बाहर हुए 1000 अतिथि विद्वानों को सेवा में नहीं ले पाई है ताज्जुब की बात है कि पिछले कांग्रेस सरकार में ही कैबिनेट से 450 पदों की मंजूरी मिल चुकी थी लेकिन कैबिनेट से पास होने के बावजूद भी लगभग 7 महीने से वित्त विभाग से पृष्ठांकन तक नहीं हो पाया जो कि समझ से परे है।डॉ पांडेय ने शासन प्रशाशन से विनम्र प्रार्थना करते हुए कहा कि वित्त विभाग से तत्काल पृष्ठांकन करवा कर अभी शेष बचे लगभग एक हज़ार उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों को पुनः व्यवस्था में ले जिससे लगातार अतिथि विद्वानों की होती आत्महत्या रुके और एक सुकून भरी जिंदगी जी पाए।आज हजारों परिवार बेहाल हैं बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

सरकार ने नियमितीकरण की तरफ़ एक भी कदम नही उठाया-जेपीएस चौहान

अतिथि विद्वान डॉ जेपीएस चौहान ने बताया कि दुर्भाग्य है कि अपनी पूरी जिंदगी उच्च शिक्षा में लगा देने वाले,पिछले 20 वर्षों से उच्च शिक्षा की सेवा करने वाले सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वाले अतिथि विद्वानों को ऐसे भी दिन देखने पड़ेंगे कभी सोचा नहीं था, अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही शिवराज सरकार बनी लेकिन दुर्भाग्य की बात है अभी तक नियमितीकरण की तरफ़ एक भी कदम सरकार ने नहीं उठाया है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।सरकार से विनम्र प्रार्थना है तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमित करें।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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