कुत्तों के हमले से घायल बच्ची के मामले में मानव अधिकार आयोग सख्त, प्रशासन से मांगा जवाब

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। तीन साल की एक मासूम बच्ची पर पांच आवारा कुत्तों (Street Dog) द्वारा घेरकर हमला करने और बच्ची को बुरी तरह नोंचने की घटना को मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग (MP Human Rights Commission) ने गंभीरता से लिया है। घटना पर संज्ञान लेते हुए मानव अधिकार आयोग ने भोपाल नगर निगम आयुक्त और जिला प्रशासन के स्वास्थ्य विभाग से सात दिन में जवाब मांगा है।

भोपाल के बागसेवनियां के अंजलि विहार फेस-2 में एक निर्माणाधीन माकन में मजदूरी करने वाले श्रमिक की तीन साल की बच्ची वहीं खेल रही थी तभी आवारा कुत्तों के एक झुंड ने बच्ची पर अचानक हमला कर दिया और उसे बुरी तरह नोंच खरोच दिया। कुत्तों के हमले में बच्ची को सिर, कान और हाथ में गहरे जख्म हो गए।  बच्ची के शरीर में कई जगह चोट भी लगी है।

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कुत्तों के हमले में घायल बच्ची को तत्काल अस्पताल ले जाया गया जहाँ इलाज के बाद घर भेज दिया गया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लेकर नगर निगम आयुक्त भोपाल एवं जिला प्रशासन भोपाल के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से अगले सात दिन में इस जवाब मांगा है।

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आयोग ने इन चार बिंदुओं पर मांगा है जवाब 

  • एनीमल बर्थ कन्ट्रोल (डाग्स) नियम 2001 के तहत की गई कार्यवाही की जानकारी दी जाये इसमें वर्ष 2021 में कितने आवारा कुत्तों को स्टरलाईज्ड किया गया ? इसकी वार्डवार जानकारी दें। इसके अलावा कितने रैबिड आवारा कुत्तों को शहर की सडकों से बाहर किया गया ? इसकी भी वार्डवार जानकारी दें। साथ ही एनीमल बर्थ कन्ट्रोल (डाग्स) नियम के तहत मानिटरिंग कमेटी की मासिक बैठकों की कापी भी दी जाये।
  • आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं का वार्डवार विवरण और प्रत्येक घटना पर निगम द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी दी जाये।
  • वर्तमान घटना में पीड़ित बच्ची के पिता को दी गई क्षतिपूर्ति राशि की जानकारी दी जाये।
  • वर्तमान घटना में पीड़ित बच्ची की मेडिकल रिपोर्ट की कापी प्रस्तुत की जाये।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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