भोपाल। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं और जिला सरकार जैसी व्यवस्था लागू करने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। वही कुछ अधिकारी उनकी इस मंशा को जमकर पलीता लगाने की कोशिशों में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश के पंचायती राज आयुक्त संदीप यादव का एक आदेश ऐसी ही कुछ मंशा दिखा रहा है।
दरअसल, पंचायत सचिवों के स्थानांतरण को लेकर पंचायत आयुक्त ने एक आदेश जारी किया है और इस आदेश में लिखा है कि यदि पंचायत सचिवों के स्थानांतरण संबंधी आदेशों को प्रभारी मंत्री 10 दिन के भीतर अनुमोदन नहीं देते हैं तो फिर कलेक्टर इस पर निर्णय ले उसे लागू कर सकते हैं। मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि जिले के भीतर प्रभारी मंत्री सरकार का सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है और ऐसी स्थिति में यदि प्रभारी मंत्री जो भी चाहे ,उस निर्णय को लागू कर सकता है। ऐसे में यदि प्रभारी मंत्री के ऊपर 10 दिन की समय सीमा लागू की जाती है और उसके बाद उसकी मर्जी के बिना निर्णय को लागू कर दिया जाता है तो फिर यह समझा जा सकता है कि साफ तौर पर एक बार फिर नौकरशाही का नियंत्रण जिले के भीतर लागू किए जा रहा है।
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