MP ELECTION : इन तीन दर्जन सीटों पर बागी पलट सकते है नतीजे, भाजपा-कांग्रेस में हड़कंप

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भोपाल

एक्जिट पोल के नतीजों ने राजनैतिक दलों की धड़कने बढ़ा दी है।सभी गुणा भाग करने में जुट गए है।बैठकों पर बैठके की जा रही है। कोई सरकार में आने की खुशी मना रहा है तो कोई खिसकती सत्ता को बचाने में जुटा हुआ है।इन सब के बीच जनता की खामोशी और बागियों का डर अब भी भाजपा-कांग्रेस के लिए डर बनी हुई है। कई सीटे ऐसे फंसी हुई है जहां बागी बना बनाया खेल बिगाड़ सकते है।माना जा रहा है कि प्रदेश की तीनों दर्जन ऐसी सीटे है जहां  बागी उम्मीदवार चुनाव के नतीजे बदल सकते हैं। खैर इसका फैसला तो दो दिन बाद 11  नंवबर को आएगा, लेकिन इसके पहले हम आपको बता रहे है कहां किसे ज्यादा खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है।

दरअसल, टिकट बंटवारे के बाद कई नेताओं-विधायकों ने नाराजगी के चलते दल बदल लिए थे।हालांकि भाजपा-कांग्रेस ने बागियों को ऐन मौके तक मनाने की खूब कोशिश की थी, लेकिन पूरी तरह सफल नही हो पाए। कईयों ने टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और अब वे दोनों पार्टियों का गणित बिगाड़ सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में, 33 सीटों का भाग्य 1% से कम वोटों से तय हुआ था। हालांकि इसके बाद पार्टियों द्वारा निष्कासन की भी कार्रवाई की गई लेकिन कोई फर्क नही पड़ा। बागी उम्मीदवार इन तीनों दर्जन सीटों में चुनाव के नतीजे बदल सकते हैं।   इस मुकाबले ने भाजपा कांग्रेस की नींद उड़ा दी है।

इन सीटों पर ज्यादा खतरा-

-पांच बार बीजेपी सांसद और दो बार विधायक, कुर्मी नेता रामकृष्ण कुसमरिया दो निर्वाचन क्षेत्रों – दामोह और पथरिया में पार्टी से टिकट से न मिलने के बाद निर्दलीय लड़े।उनका बड़ा जनाधार है जो मलैया को नुकसान पहुंचा सकता है। इस सीट पर त्रिकोणीय जंग की स्थिति बन गई है। दामोह से बीजेपी के जयंत मलइया चुनाव लड़ रहे हैं

-कांग्रेस को झाबुआ में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जहां इसके पार्टी के सदस्य रहे जेवियर मेडा ने कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे जितेंद्र भूरिया को टिकट दिए जाने के चलते निर्दलीय चुनाव लड़ा।

-बीजेपी द्वारा टिकट न मिलने के बाद भिंड से विधायक नरेंद्र सिंह एसपी में शामिल हो गए और वहां से बीजेपी के खिलाफ लड़े।

-ग्वालियर ग्रामीण में कांग्रेस के टिकट से जीते साहब सिंह गुज्जर को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया, ऐसे में वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े।

-ऊर्जा मंत्री नारायण सिंह कुशवहा ग्वालियर दक्षिण से चुनाव लड़ रहे हैं। उनको कांग्रेस के प्रवीण पाठक चुनौती दे रहे हैं। भाजपा से बागी हुईं समीक्षा गुप्ता के कारण उनको कमजोर माना जा रहा है। 

-उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल रीवा से 15 साल से विधायक हैं। इस बार उन्हें भाजपा से बागी हुए अभय मिश्रा से टक्कर मिल रही है। इस बार यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा। 

– मंत्री बिसेन और कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत सपा प्रत्याशी अनुभा मुंजारे का डर सता रहा है। मुंजारे यहां कद्दावर प्रत्याशी मानी जा रही हैं। इस तरह यहां भी त्रिकोणीय मुकाबले के आसार नजर आ रहे है।

-राजनगर में भाजपा उम्मीदवार अरविंद पटेरिया, कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नाती राजा और कांग्रेस से बगावत कर समाजवादी पार्टी का झंड़ा थामने वाले नितिन चतुर्वेदी के बीच मुकाबला हो रहा है।

-चंदला में भाजपा उम्मीदवार राजेश प्रजापति,कांग्रेस प्रत्याशी हरप्रसाद अनुरागी और भाजपा से बागी होकर सपा के टिकट से चुनाव लड़ रही अनित्या सिंह के बीत त्रिकोणीय संघर्ष चल रहा है।

-बिजावर में भाजपा उम्मीदवार पुष्पेन्द्रनाथ पाठक, कांग्रेस प्रत्याशी शंकरप्रताप सिंह और कांग्रेस से बगावत कर समाजवादी पार्टी कै बैनर तले चुनाव लड़ रहे राजेश शुक्ला के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।दोनों को भय है कही ऐन मौके पर बागी इनका खेल ना बिगाड़ दे।

इन सीटों पर भी मंडरा रहा खतरा

विजयपुर, लेहर, करैरा, नीमच, जवाड़, मल्हारगढ़,गरोठ, सुवासरा, मानसा, पुष्पराजगढ़, अनूपपुर, कोटमा, सिहावल, नागौड, जबलपुर, सागर, सतना , रतलाम, सैलाना, जावरा और सीहोर


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