अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं के दावे की खुली पोल, मुट्ठी भर युवक कांग्रेसियों ने रोक दी रेल

Atul Saxena
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Bhopal News :  राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता निरस्त करने के विरोध में युवक कांग्रेस ने भोपाल में प्रदर्शन किया। इस दौरान करीब एक दर्जन से ज्यादा युवक कांग्रेसी प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के नेतृत्व में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (हबीबगंज स्टेशन ) पहुंचे और वहां पर दक्षिण एक्सप्रेस को रोक दिया। हैरत की बात यह रही कि इस दौरान ना तो वहां कोई सुरक्षा नजर आई और ना ही किसी ने बाद में कोई कार्यवाही की।

रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्थाओं की धज्जियां तार-तार

विश्व भर की सर्वश्रेष्ठ सेवाओं का दावा करने वाले देश के पहले पीपीपी मॉडल पर आधारित रेलवे स्टेशन रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्थाओं की शुक्रवार को धज्जियां तार-तार उड़ गई। दरअसल इस रेलवे स्टेशन पर लगभग 4:30बजे एक दर्जन से ज्यादा युवक कांग्रेसी पहुंचे। इनका नेतृत्व प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया कर रहे थे। स्टेशन से चलने को तैयार खड़ी दक्षिण एक्सप्रेस के इंजन के ऊपर यह लोग चढ़ गए और नारेबाजी करने लगे।

ट्रेन के इंजन पर चढ़े कांग्रेसी, करते रहे हंगामा, किसी ने नहीं रोका 

दरअसल यह लोग राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता समाप्त किए जाने का विरोध कर रहे थे। यह हाथों में पोस्टर लिए थे जिस पर ब्लैक डे ऑफ़ डेमोक्रेसी लिखा हुआ था। हंगामा करीब 10 मिनट तक चलता रहा लेकिन वहां तो ना कोई सुरक्षाकर्मी दिखा और ना ही कोई प्रयास इन लोगों को रोकने के लिए किया गया। उसके बाद बड़े आराम के साथ युवक कांग्रेसी वहां से चलते बने और बाद में ट्रेन भी अपने गंतव्य को रवाना हो गई। लेकिन इन सबके बीच एक सवाल अनुत्तरित रह गया।

प्रदर्शन के बाद रेलवे स्टेशन की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल 

आखिरकार कल को यदि इन युवाओं की जगह कोई अन्य असामाजिक तत्व रेलवे स्टेशन पर आ जाये और इसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था रहे तो फिर यात्रियों की सुरक्षा का क्या होगा? रेल के इंजन पर खड़े होना और रेल को रोकना कानूनन अपराध है। उसके बावजूद युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

लगभग 500 करोड रुपए की लागत से बने इस पीपीपी मॉडल के रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्थाओं की इस हालत ने यह भी बता दिया कि राजधानी भोपाल का रेलवे स्टेशन किस कदर असुरक्षित है और यहां कभी भी किसी भी बड़ी घटना का होना संभव हो सकता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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