भोपाल| सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस ने 8 जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया गया है। 6 बैंक यूनियंस ने भी हड़ताल का समर्थन किया है, जिसके कारण बैंकिंग कामकाज पर असर होगा। बैंक बंद रहने का असर एटीएम सर्विस पर होगा और 8-9 जनवरी को कैश की किल्लत हो सकती है। यह हड़ताल केंद्र सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताकर बुलाई जा रही है। इसमें बैंक, बीमा, डाक घर, इनकम टैक्स समेत कई केंद्रीय विभाग और औद्योगिक, निजी, ट्रांसपोर्ट क्षेत्रों के असंगठित मजदूर शामिल होंगे। हड़ताल की गंभीरता को देखते हुए बैंक दो दिन से ग्राहकों को मैसेज कर आठ जनवरी को असुविधा से बचने डिजिटल लेन-देन की सलाह दे रहे हैं।
सेंट्रल बैंक की ओर से शाखा बंद रहने के एसएमएस उपभोक्ताओं को भेजे गए हैं। हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है। भारत बंद से बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन और सेवा क्षेत्र के कामगार भी शामिल होंगे। सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का कहना है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने और उदारीकरण, सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ बुलाया गया है|
हड़ताल की मुख्य वजह निजीकरण को बढ़ावा देना, पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करना, वेतनमानों में सुधार नहीं करना, बैंकों को मर्ज कर रोजगार के अवसर व बांटे गए हजारों करोड़ रुपए कर्ज से उद्योगपतियों को मुक्त कराना, श्रमिकों के जीवन स्तर से जुड़े निर्णय नहीं लेना बताया जा रहा है। हड़ताल का स्वास्थ्य, मेडिकल, शिक्षा समेत अन्य जरूरी सुविधाओं पर असर नहीं पड़ेगा। बैंक हड़ताल मंच के वीके शर्मा ने दावा है कि राजधानी भोपाल की 490 समेत प्रदेश भर की 5 हजार बैंक शाखाओं में हड़ताल का गहरा असर रहेगा। केंद्रीय कर्मचारी व असंगठित मजदूरों ने महा हड़ताल की पूर्व संध्या पर शाहजहांनी पार्क से मशाल जुलूस निकाला। इसमें सैंकड़ों की संख्या में बैंक, बीमा, इनकम टैक्स, ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी, असंगठित मजदूरों ने हिस्सा लिया।
इन संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, सेल्फ इम्प्लॉयड वीमेंस एसोसियेशन, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं।