“मैं झुकेगा नहीं” आईपीएस ने टैग की खुद की तारीफ में लिखी यह पोस्ट

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी ने खुद की तारीफ में लिखी गई एक पोस्ट को टैग किया है। दरअसल सुनील कुमार पांडे नाम के आईपीएस अधिकारी श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना और मंदसौर में एसपी रह चुके हैं और उनके बार बार हुऐ तबादलों को लेकर उनके एक प्रशंसक ने एसपी साहब की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े हैं। दक्षिण भारत के अभिनेता अर्जुन अल्लू की फिल्म पुष्पा इन दिनो चर्चाओ में है। फिल्म में किए गए डांस से लेकर डायलॉग तक आम आदमी के सिर पर चढ़े हुए हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी की तारीफ में उनके एक प्रशंसक ने जमकर कसीदे गढ़े हैं।

फेसबुक पर लिखी गई पोस्ट में बताया गया है कि सरकार को जब श्योपुर में स्मैक तस्करों पर लगाम लगानी थी या मुरैना में जहरीली शराब माफियाओं से निपटना था या मंदसौर में जहरीली शराब के माफियाओं को नेस्तनाबूद करना था, तब सुनील कुमार पांडे की याद आई। पोस्ट में लिखा गया है कि उन नेताओं को पांडे फूटी आंखों नही सुहाऐ जिन के काले धंधों पर पांडे ने चोट कर दी। लगातार उनकी शिकायतें हुई। मुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक लोग जाकर रोए। लेकिन सुनील कुमार पांडे झुके नहीं। तबादले रोकने के लिए किसी की सिफारिश नहीं। पोस्ट के आखिर में लिखा है कि “मैं हमेशा कहता हूं कि आईपीएस होना कठिन है पर सुनील कुमार पांडे होना असंभव।” इस पोस्ट को खुद पांडे साहब ने ही टैग कर दिया है। हालांकि सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट को टैग करना आईपीएस की नजरों में पोस्ट की सत्यता पर मुहर लगाता है और ऐसे में जरूरत है इस बात की भी है कि कम से कम आईपीएस अधिकारी पान्डेय व्यवस्था में बैठे उन भ्रष्ट लोगों को भी बेनकाब करें जिन्होंने उन्हें जिलों में पदस्थ रहते हुए काम नहीं करने दिया और जिनके धन्धो को उन्होंने नेस्तनाबूद किया और जिनकी शिकायत पर आखिरकार उन्हें जिलो से रवानगी डालनी पड़ी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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