भोपाल/जबलपुर।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए अश्विनी कुमार के अंतिम संस्कार में देरी से पहुंचने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ चौतरफा घिर गए है। परिजनों और गांववालों के बाद अब विपक्ष ने सवाल उठाए है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कमलनाथ पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि जानबूझकर शहीद के अंतिम संस्कार को लेट कराने की कोशिश की गई ।सरकार के लिए कैबिनेट बैठक जरुरी थी या शहीद का अंतिम संस्कार। वही कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा पर झूठ बोलने और ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है।
भार्गव ने कमलनाथ से सवाल करते हुए कहा है कि सरकार बताएं कि कैबिनेट की बैठक ज्यादा जरूरी थी या शहीद का अंतिम संस्कार।भार्गव ने आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर शहीद के अंतिम संस्कार को लेट कराने की कोशिश की गई । कमलनाथ सरकार के मंत्री जगह-जगह भाषण और उद्घाटन करने में व्यस्त रहे, जिसकी वजह से शहीद का अंतिम संस्कार लेट कराया गया ।इसके साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लुनावत ने कमलनाथ पर हमला बोलते हुए कहा है कि हद है कमलनाथजी आपके संस्कार के इन्तेजार में 1घंटे तक प्रशासन ने रोक के रखा जबलपुर के शहीद का अंतिम संस्कार।
वही कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने पलटवार करते हुए कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोविन्द सिंह को मंत्रिमंडल की बैठक छोड़ शहीद जवान अश्विन कुमार की अंतिम यात्रा व अंत्येष्टि में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होने पूर्व में ही भेज दिया था। मुख्यमंत्री का जाने का कार्यक्रम पहले से ही 4.30 बजे का निर्धारित था और वे अपने निर्धारित समय पर पहुँच गये थे। उन्होंने किसी को भी इंतज़ार नहीं कराया। बेहद शर्मनाक है कि सदैव झूठ बोलने वाली भाजपा ऐसे संवेदनशील मौक़े पर भी झूठ बोलने व ओछी राजनीति करने से बाज़ नहीं आयी। प्रदेश कैबीनेट बैठक में भी सबसे पहले शहीद जवान को श्रधांजलि अर्पित की गयी।
ये है पूरा मामला
शनिवार को मध्य प्रदेश के जबलपुर के सिहोरा के खुडावल गांव में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए अश्विनी कुमार का अंतिम संस्कार सिर्फ इसलिए देरी से हुआ क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ तय समय पर वहां नहीं पहुंच पाए।जब तक मुख्यमंत्री कमलनाथ नही पहुंचे वीर शहीद का पार्थिव शरीर यूं ही रखा रहा और इंतजार होता रहा कि मुख्यमंत्री आकर श्रद्धांजलि देंगे।काफी देर होने के बाद लोगों में मुख्यमंत्री के इस रवैये से नाराजगी बढ़ने लगी और उन्होंने कमलनाथ मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरु कर दिया। बढ़ता विवाद देख स्थानीय प्रशासन ने लोगों को समझा बुझाकर शांत किया और जब कमलनाथ आए तो उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की उसके बाद ही शहीद का अंतिम संस्कार हो सका। मुख्यमंत्री कमलनाथ के देरी से पहुंचने से उनके रवैये पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर शहीद के अंतिम संस्कार से अधिक मुख्यमंत्री कमलनाथ को क्या जरूरी काम था या फिर वजह कुछ और रही।