सिखों के घावों पर नमक न छिड़कें कमलनाथ : विष्‍णुदत्‍त शर्मा

Amit Sengar
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ (kamal nath) की संलिप्तता को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं। न्‍यायालय में भी इस संबंध में प्रकरण चल रहा है। इसी दंगे में संलिल्पतता के चलते कमलनाथ के एक कांग्रेसी साथी सज्जनकुमार को सजा भी हो चुकी है। ऐसे में कमलनाथ इन दंगों में भूमिका को लेकर अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट करें। जब तक कमलनाथ ऐसा नहीं करते हैं उन्‍हें सिख समाज के घावों पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष विष्‍णुदत्‍त शर्मा ने इंदौर के खालसा कॉलेज में गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर कमलनाथ की उपस्थिति से शुरू हुए विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।

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प्रदेश अध्‍य शर्मा ने कहा कि 1984 के सिख दंगों में सिर्फ राजधानी दिल्ली में ही करीब 7 हजार सिखों का कत्लेआम किया गया था। कई बहनों पर अत्याचार किए गए और लोगों को जिंदा जला दिया गया। सिख समाज के लोगों ने उस विभीषिका को झेला है और उसके दंश को आज भी भुगत रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी भी 38 साल पहले हुए इन दंगों के बारे में भलीभांति जानती है। कांग्रेस नेता कमलनाथ पर इन दंगों में संलिप्तता को लेकर आरोप लगते रहे हैं।

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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कमलनाथ न सिर्फ दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के पास एकत्र दंगाइयों के बीच मौजूद रहे, बल्कि उन्होंने लोगों को सिखों पर हमले और तोड़फोड़ के लिए उकसाने का काम भी किया था। अकाली नेता मनजिंदरसिंह सिरसा द्वारा दंगों में कमलनाथ को आरोपी बनाए जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका पर विचार चल रहा है। ऐसे में कमलनाथ को सिख समाज के सामने यह स्‍पष्‍ट करना चाहिए कि उन पर लगे आरोपों की सच्‍चाई क्‍या है? और जब तक ऐसा नहीं होता उन्‍हें सिखों के धार्मिक स्थलों पर जाकर, उनके समारोहों में शामिल होकर समाज के जख्मों पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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