इस सीट पर जनता दोनों पार्टियों को देती रही है मौका, कांग्रेस वापसी की कोशिश में

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भोपाल। मध्य प्रदेश की खरगोन लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोने ही पार्टी ने उम्मीदवारों को जनता ने मौका दिया है। यह 1 नवंबर  1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही खरगोन  “पश्चिम निमाड़” के रूप में अस्तित्व में आ गया था. यह मध्य प्रदेश की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर स्थित है. इस जिले के उत्तर में धार, इंदौर व देवास, दक्षिण में महाराष्ट्र, पूर्व में खण्डवा, बुरहानपुर तथा पश्चिम में बड़वानी है. यह शहर नर्मदा घाटी के लगभग मध्य भाग में स्थित है। फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और यहां से बीजेपी सुभाण पटेल सांसद हैं। 

इस सीट पर कांग्रेस जीत की तलाश कर रही है। बीते दो चुनाव में यहां से बीजेपी को जीत मिलती रही है। 2014 के चुनाव में बीजेपी के सुभाष पटेल को 649354(56.34 फीसदी) वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475(33.97 फीसदी)वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी 2.71 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।  इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के मक्कन सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने का बालाराम बच्चन को हराया था। मक्कन सिंह को 351296  (46.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं बालाराम बच्चन को 317121(41.7 फीसदी) वोट मिले थे। सीपीआई 4.19 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी।

फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं. बीजेपी को यहां पर 7 चुनाव में जीत मिली है तो कांग्रेस को 5 चुनाव में जीत मिली है. खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. देपालपुल, इंदौर 3,राऊ, इंदौर 1, इंदौर 4, सनवेर,  इंदौर 5, इंदौर 2 यहां की विधानसभा सीटें हैं. इन 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

41 साल के सुभाष पटेल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने। पेशे से किसान सुभाष पटेल ने एमए किया है। संसद में उनकी उपस्थिति का बात करें तो वह उनकी मौजूदगी 90 फीसदी रही। उन्होंने 8 बहस में हिस्सा लिया और 95 सवाल किए।  सुभाष पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 24 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 19.72 यानी मूल आवंटित फंड का 87.62 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 4.29 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।


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