किस्साए अच्छे ख़ां उर्फ़ मीठे की मुसीबत

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शक्कर तो खुशखबरी होती है..शक्कर भला बीमारी कैसे हो सकती है…जब पहली बार डॉक्टर ने अच्छे मियां को बताया कि उनके खून में शक्कर ज़्यादा है, वो तो बल्कि खुश ही हुए। बड़े फ़क्र से बोले बेगम से “देख लीजिए हमारे मिज़ाज की मिठास की गवाही खून भी दे रहा”, वो तो डॉक्टर ने वहीं डपट दिया और खरा खरा बोल दिया कि बस अबसे शक्कर बंद…बस तभी से अच्छे मियां के अच्छे दिन भी मानो ताले में बंद हो गए हैं। बेगम तो डॉक्टर से भी सख्त निकली। घर से चुन चुनकर सारी नानखटाई, क्रीम बिस्कुट, चिक्की, पेठे और मिठाई वगैरह आसपास के बच्चों में बांट दी। और जो कुछ रखा भी है तो उसे रसोई की जाली वाली अलमारी में बंद कर छुटकु ताला डाल दिया। अब ये ताला तो अच्छे मियां एक हाथ से तोड़ सकते हैं, लेकिन बेगम का हुकुम भला कैसे तोड़ें…


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