Gita Updesh : सनातन धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसके बारे में हम सभी अमूमन बचपन से ही सुनते आ रहे हैं, यहां तक की स्कूलों में भी स्कूली छात्रों को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाया जाता है, जिसमें ऐसी बहुत सी बातें बताई गई है जो सफलता और अच्छा इंसान बनने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें कुल 800 अध्याय और 700 श्लोक है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। हालांकि, अब इसे बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। इसमें धर्म योग, कर्म योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। दरअसल, यह ग्रंथ भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन है। जिसे भगवान ने अपने विश्व रूप को प्रकट करते हुए अर्जुन के मन में चल रही परेशानी को अच्छे से सुलझाया था। उसके बाद धर्म और अधर्म की यह लड़ाई लड़ी गई थी, जिसमें कौरवो पर पांडवों ने विजय प्राप्त की थी। गीता उपदेश में बताई गई बातों को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति अच्छा इंसान बनता है। ईश्वर ने यह कहा है कि आपको अपने कर्म बिना परिणाम की इच्छा किए निरंतर करते रहना चाहिए। इसका परिणाम आपको एक-न-एक-दिन अवश्य मिलेगा। वहीं, जहां महाभारत का जिक्र आता है वहां कौरव और पांडवों के अलावा दानवीर कर्ण का भी जिक्र अवश्य होता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको उनकी कुछ बातें बताएंगे, जो आपके जीवन को सफल बना सकते हैं। इससे आप समाज में मान और प्रतिष्ठा भी प्राप्त करेंगे।
कर्ण से सीखें ये 5 चीज
- श्रीमद्भगवद्गीता में दानवीर कर्ण के बारे में जिक्र किया गया है कि अगर हार तय हो फिर भी जीत के लिए निरंतर प्रयास करते रहना बेहद जरूरी है। बता दें कि कर्ण को पहले से ही पता था कि युद्ध धर्म और अधर्म के बीच है और कौरव अधर्मी है, इसलिए जीत पांडवों की निश्चित है। यह जानते हुए भी उन्होंने अपने मित्र दुर्योधन का ही साथ दिया था। इससे यह साबित होता है कि अगर आप किसी के प्रति वफादार है और आप पर कोई आंख बंद करके भरोसा करता है, तो कभी भी उसके भरोसे को ना तोड़े।
- दानवीर कर्ण से इंसान को हमेशा यह सीखना चाहिए कि विपरीत परिस्थिति में वह खुद को टूटने ना दें, क्योंकि जब उन्हें भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वह कुंती पुत्र हैं, उसके बावजूद उन्होंने खुद को संभालते हुए दृद्ध निश्चय अटल रहे और कौरवों के साथ ही लड़ाई की।
- जीवन में दानवीर कर्ण से हर इंसान को यह सीख लेनी चाहिए कि वह अपने मित्र के लिए हमेशा ईमानदार और वफादार बने रहे। चाहे कोई भी विषम से विषम परिस्थिति क्यों ना हो वह उनके लिए हमेशा खड़े रहे। यही मित्रता की असली पहचान होती है। इसलिए अगर आप किसी से मित्रता निभाते हैं, तो कर्ण की तरह निभाएं।
- दानवीर कर्ण से इंसान को यह सीखना चाहिए कि सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि शिक्षा देने वाले गुरु भी सम्मान करना चाहिए क्योंकि माता-पिता के बाद एक गुरु ही होते हैं, जो आपको सही रास्ता दिखाते हैं। आपके जीवन में सफल बनाने में आपकी मदद करते हैं।
- दानवीर कर्ण की दृढ़ निश्चय यानी की अपने वादे के पक्के माने जाने वाले कर्ण से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि चाहे कुछ भी हो जाए अगर आपने एक बार जो वचन दे दिया उसे कभी भी मुकरना नहीं चाहिए। इससे आपका नुकसान हो या फायदा चाहे इसमें आपकी जान भी चली जाए। तब भी आपके पीछे नहीं हटना चाहिए।
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