सूरजकुंड चिंतन शिविर में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने छोड़ी अलग छाप – कृष्णमोहन झा

भोपाल, कृष्णमोहन झा। दिल्ली के समीपस्थ सूरजकुंड (Surajkund) इलाके में हाल में ही विभिन्न राज्यों के गृहमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों, मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों आदि अधिकारियों का जो चिंतन शिविर आयोजित किया गया उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य सरकारों को जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं वह निःसंदेह स्वागतेय हैं लेकिन इनकी उपादेयता तभी सिद्ध हो सकेगी जबकि सभी राज्य सरकारें दलगत भावना से ऊपर उठकर उन पर तेजी से अमल करने की इच्छा शक्ति प्रदर्शित करेंगी।
गृहमंत्री सम्मेलन के रूप में आयोजित किए गए इस तीन दिवसीय चिंतन शिविर में सभी राज्य सरकारों  के गृहमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था परंतु इस पर आश्चर्य ही व्यक्त किया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल और बिहार के मुख्यमंत्रियों के पास गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी होते हुए भी उन्होंने इस सम्मेलन से दूरी बनाने का फ़ैसला किया जबकि इस सम्मेलन में जिन ज्वलंत मुद्दों पर विचार विचार-विमर्श होना था वे इन राज्यों के लिए भी उतने ही महत्वपूर्ण थे जितने दूसरे राज्यों के लिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जो पंच प्रण देशवासियों के समक्ष प्रस्तुत किए थे उनके त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक सुनियोजित कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से इस चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था। विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस शिविर में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जो उत्साह प्रदर्शित किया और सम्मेलन में पहुंच कर अपने विचारणीय सुझाव प्रस्तुत किए उसे इस सम्मेलन की सफलता के रूप में देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में विशेष रूप से पूरे देश की पुलिस के लिए एक समान वर्दी तय करने का जो सुझाव दिया वह निःसंदेह रेखांकित किए जाने योग्य है। उन्होंने इसे पुलिस बल में एक रूपता लाने के लिए केंद्र सरकार की पहल बताते हुए यह भी कहा कि वह इसे राज्यों पर थोपने का प्रयास नहीं कर रहे हैं परंतु राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने ने त्यौहारों के समय देश की एकता को मजबूत करने के लिए पुलिस बल की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री का यह कहना पूरी तरह सही है कि कानून व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी है परंतु इसका संबंध देश की एकता और अखंडता से भी है इसलिए इसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी के इस सुझाव पर हर राज्य की सरकार को दलगत राजनीति की भावना से ऊपर उठकर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि सभी राज्य एक दूसरे से प्रेरणा ले सकते हैं और सीख सकते हैं।
दरअसल अब अपराधों के बढ़ते दायरे को देखते हुए विभिन्न राज्यों के बीच तालमेल अपरिहार्य प्रतीत होने लगा है और समान रणनीति बनाकर उनसे बेहतर तरीके से काबू पाया जा सकता है। इस सम्मेलन में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण,साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी की उपयोगिता, भूमि सीमा प्रबंधन, मादक पदार्थों की तस्करी  आदि मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और महत्वपूर्ण बना सुझावों का आदान-प्रदान भी हुआ।सूरजकुंड में आयोजित इस तीन-दिवसीय चिंतन शिविर में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने किया जो कि 2003 में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों के बाद गठित विभिन्न भाजपा सरकारों में महत्वपूर्ण मंत्रालयों के उत्तरदायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके है । गौरतलब है कि मार्च 2020 में जब राज्य में चौथी बार शिवराज सरकार का गठन हुआ था तब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने डॉ नरोत्तम मिश्रा की अद्भुत कार्यक्षमता, विशिष्ट कार्यशैली और महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री के रूप में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन का सम्मान करते हुए उन्हें गृहमंत्रालय की बागडोर सौंपी थी।
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए इस चिंतन शिविर में यूं तो 8 राज्यों के मुख्यमंत्री , दो राज्यों के उपमुख्यमंत्री  और 16 राज्यों के गृहमंत्रियों सहित विभिन्न राज्यों के मुख्ससचिव और पुलिस महानिदेशक मौजूद थे परन्तु इस मौके पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा अपने मौलिक विचारों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का विश्वास अर्जित करने में अग्रणी रहे। यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि विगत दिनों मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रवास के दौरान भी उनके साथ डॉ नरोत्तम मिश्रा की निकटता यह संदेश दे रही थी कि मध्यप्रदेश में  कानून व्यवस्था की स्थिति को चुस्त दुरुस्त बनाये रखने में मध्यप्रदेश के गृहमंत्री की विशिष्ट सूझबूझ और रणनीतिक कौशल ने उन्हें प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री का विश्वास पात्र बना दिया है। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल प्रवास से लेकर ग्वालियर प्रवास तक अधिकांश समय उनका डॉ नरोत्तम मिश्रा के साथ विचार विमर्श का सिलसिला चलता रहा। यही स्थिति कमोबेश सूरजकुंड के चिंतन शिविर में भी परिलक्षित हो रही थी ।
सूरजकुंड में तीन दिन तक चले चिंतन शिविर  के समापन के पश्चात डॉ नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि इस चिंतन शिविर में उन ज्वलंत मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई जो यद्यपि  राज्य सरकारों के कार्यक्षेत्र में आते हैं परंतु उन्हें राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में वन नेशन वन राशन कार्ड की अवधारणा के अनुरूप सभी राज्यों की पुलिस के लिए एक समान वर्दी रखने का जो सुझाव प्रधानमंत्री मोदी ने चिंतन शिविर में दिया है वह स्वागतेय है और सभी राज्यों की सरकारें प्रधानमंत्री के इस सुझाव पर सहमत हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी इस दिशा में सभी आवश्यक कदम उठाने की पहल करेगी।अन्य राज्यों की सरकारों को को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए । डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उक्त चिंतन शिविर में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने राज्य सरकारों को जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं उन पर अमल किया जाना चाहिए । मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में पर्यटन पुलिस  की नियुक्ति के सुझाव का जो अनूठा दिया है उस पर तेजी से अमल की दिशा में राज्य सरकार एक कार्ययोजना तैयार करेगी । प्रधानमंत्री के सुझाव के अनुरूप पर्यटन पुलिस की भर्ती में उन लोगों को प्राथमिकता प्रदान की जाएगी जिन्होंने  देश के विभिन्न भागों में बोली जाने वाली भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं में भी प्रवीणता हासिल की हो। गृहमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में प्राइम लोकेशन पर स्थित  थाना भवनों में ही पुलिस कर्मियों के आवास निर्मित करने का फैसला किया है। डॉ नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मध्यप्रदेश में ड्रग माफिया को नेस्तनाबूद करने के लिए सरकार कठोर कदम उठाने में नहीं हिचकेगी।

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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”