भोपाल।
उपचुनाव (by election) से पहले बीजेपी(bjp) की मुश्किलें बढती नजर आ रही है। अपनों की बगावत बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बन रही है। हालांकि नेताओं को साधने का सिलसिला जारी है बावजूद इसके बगावत के सुर तेजी से फूट रहे है। अब भांडेर के पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया (Former MLA from Bhander Ghanshyam Pironia) ने दावेदारी ठोकी है।यही कारण है कि आज भांडेर विधानसभा उपचुनाव (Bhander assembly by-election) को लेकर भोपाल स्थित कार्यालय पर बैठक हो रही है लेकिन लगातार पार्टी की उपेक्षा से नाराज चल रहे है घनश्याम पिरोनिया ने इससे दूरी बना ली है। वही गुरुवार को हुई बैठक में भी वे शामिल नही हुए थे।
पिरोनिया का कहना है कि पार्टी में उनकी हर बार उपेक्षा की गई है।विधानसभा (Vidhansabha) में टिकट काटा गया और फिर दतिया-भिंड लोक सभा (Datia-Bhind Lok Sabha) से सांसद का टिकट भी मांगा वहां भी उपेक्षा की गई।भांडेर में उपचुनाव होना है इसी के चलते मैने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी बात रखी है।मुझे पूरा यकिन है पार्टी मेरे बारे में विचार करेगी। हम सरकार बनाएंगे और इसके लिए पूरे प्राण लगा देंगे।
बता दे कि जिस तरह से चंबल संभाग (Chambal Division) में कॉन्ग्रेस.(congress) भारतीय जनता पार्टी के नेताओ की सेंधमारी कर रही है,कहीं यह कांग्रेस पार्टी की सेंधमारी काम ना कर जाए , क्योंकि भांडेर की जनता घनश्याम पिरोनिया के लिए तरस रही है कि वह किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें । जनता का प्यार और लगाव अपने बीच के नेता को जनता किसी भी हाल में अपने बीच रखने को आतुर है, ऐसे में पूर्व विधायक की बगावत पार्टी के लिए सबब बन सकती है।
गौरतलब है कि घनश्याम पिरोनिया भांडेर विधानसभा क्षेत्र में बड़े जनाधार वाले नेता माने जाते हैं।पिरोनिया ने 2013 से 2018 तक 5 साल भारतीय जनता पार्टी के दतिया जिले की भांडेर विधानसभा से नेतृत्व किया है। उन्होंने आम जनता के बीच में अच्छी अपनी पकड़ बनाई । हमेशा जनता जनार्दन और गरीब असहाय लोगों की मदद में खड़े रहे। कई बड़े विकास कार्य किए। लाखों करोड़ों के विकास कार्यों का विधानसभा भांडेर में अमलीजामा पहनाया गया ।2018 में कारणवश भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भांडेर विधानसभा से टिकट काट दिया गया जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ा और 33000 वोटों से भारतीय जनता पार्टी के खड़े किए गए प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा।