प्रसिद्ध पत्रकार व लेखक पीयूष बबेले को मिलेगा पंडित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिखर सम्मान

Amit Sengar
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Pandit Jawaharlal Nehru National Summit Award : प​त्रकारिता और लेखकी के क्षेत्र में आज कई राष्ट्रीय सम्मान दिए जाते हैं। लेकिन अकादमी अपना पहला राष्ट्र स्तरीय शिखर सम्मान” पं. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिखर सम्मान “भोपाल के पीयूष बबेले को प्रदान करेगी। अकादमी अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के मूल्यों और विचारों को ध्यान में रखकर ये सम्मान दिया जाता है। आज की पीढ़ी के युवाओं को प्ररित, ​शिक्षित, जागरूक और अपने राष्ट्र के प्रति समर्मित हो इस पर लेखक पीयूष बबेले ने लेख लिखा। जिसके बाद इसको ये सम्मान दिया जा रहा है। इतना ही नहीं लेखक पीयूष बबेले ने एक पुस्तक ‘नेहरू मिथक और सत्य’ भी लिखी है। पीयूष बबेले यूपी के झांसी के रहने वाले है।

उन्होंने बताया कि अकादमी ने राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार को प्रदान करने के लिए शीर्ष विद्वानों और नेहरू साहित्य के विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया गया था जिसमें गांधी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ बी .एम .शर्मा , पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी शामिल थे। साथ ही काशी विद्यापीठ बनारस में सेवारत रहे प्रोफेसर सतीश राय और वरिष्ठ साहित्यकार फारूक अफरीदी सदस्य थे। इस कमेटी की सर्व सम्मत अनुशंसा पर पुरस्कार हेतु पीयूष बबेले का चयन किया गया है।

अकादमी अध्यक्ष राजस्थानी ने बताया कि राजस्थान में किसी भी अकादमी द्वारा प्रदान किए जा रहे पुरस्कारों की दृष्टि से यह पुरस्कार एवं सम्मान सर्वोपरि है क्योंकि इस सम्मान की राशि एक लाख रु. रखी गई है जो फिलहाल किसी भी अन्य अकादमी द्वारा नही दिया जा रहा। अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि पुरस्कार स्वरूप बबेले को अकादमी की ओर से नकद पुरस्कार के अतिरिक्त मानपत्र और स्मृति चिन्ह भी भेंट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बबेले युवा लेखक साहित्यकार और नेहरू के विचारों के वाहक और लेखक हैं। आपकी पुस्तक नेहरू मिथक और सत्य को देशभर में सराहना मिली है। अकादमी इस माह के अंत में जयपुर में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में बबेले को यह सम्मान प्रदान करेगी।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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