MP News : बच्चों की मौत पर भड़के कमलनाथ, कहा ये सुरक्षा से खिलवाड़, सीएम डॉ मोहन यादव से की ये मांग

कमलनाथ ने लिखा- मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि पूरे प्रदेश में सभी तरह के सरकारी और निजी स्कूल की इमारतों की मज़बूती की जाँच कराई जाए और तत्काल उनकी मरम्मत शुरू की जाए। जब तक किसी स्कूल की मरम्मत का कार्य चलता है तब तक बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा जाए ताकि उनकी सुरक्षा को कोई ख़तरा न हो।

Kamal Nath

MP News : मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में हुई बच्चों की मौत ने जिम्मेदारों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, स्थानीय प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अफसरों को ये मालूम ही नहीं होता कि कितने भवन जर्जर है, कितने स्कूलों की बिल्डिंग या दीवार जर्जर हो चुकी हैं और खतरनाक हैं और इसका खामियाजा बच्चों को या फिर अन्य किसी को भुगतना पड़ता है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसी बात को लेकर सीएम डॉ मोहन यादव से सोशल मीडिया के माध्यम से जाँच की मांग की है

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने X पर लिखा – प्रदेश में लगातार इस तरह की दुर्घटनाएँ हो रही हैं जिनमें भवन या दीवार गिरने से मासूम बच्चों की मृत्यु हुई है। रीवा और सागर में बच्चों की मृत्यु की दुखद घटनाओं ने सबका दिल दहला दिया है। अब इस तरह की रिपोर्ट भी सामने आ रही है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूल कमज़ोर और पुरानी इमारतों में चल रहे हैं।

बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ के आरोप 

उन्होंने कहा कि भोपाल में ही 42 स्कूलों के जीर्णशीर्ण भवनों में चलने की रिपोर्ट सामने आयी है। कमज़ोर इमारतों में बच्चों को पढ़ाना भीषण जोखिम को आमंत्रित करने के बराबर है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्कूल भवनों पर किसी तरह का ध्यान न देकर सरकार बच्चों की सुरक्षा से गम्भीर खिलवाड़ कर रही है।

सीएम डॉ मोहन यादव से की जाँच की मांग 

मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि पूरे प्रदेश में सभी तरह के सरकारी और निजी स्कूल की इमारतों की मज़बूती की जाँच कराई जाए और तत्काल उनकी मरम्मत शुरू की जाए। जब तक किसी स्कूल की मरम्मत का कार्य चलता है तब तक बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा जाए ताकि उनकी सुरक्षा को कोई ख़तरा न हो।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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