भोपाल, हरप्रीत रीन। मध्य प्रदेश के शिक्षण आयुक्त के आदेश के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध के स्वर उठने तेज हो गए हैं। कर्मचारी संघ के बाद अब शासकीय शिक्षक महासंघ ने भी शिक्षकों के निलंबन का विरोध किया है। संघ के द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की गई है।
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13 सितंबर को पुरानी पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर भोपाल में आंदोलन करने वाले लगभग आधा सैकड़ा शिक्षकों को लोक शिक्षण आयुक्त ने निलंबित कर दिया है। शिक्षण आयुक्त ने 400 से ज्यादा शिक्षकों को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या वे आंदोलन में शामिल थे। इसके बाद यह कार्रवाई की गई है। इस निलंबन का चारों तरफ विरोध हो रहा है और अब कर्मचारी संगठन के बाद शासकीय शिक्षक महासंघ भी इसके विरोध में खुलकर उतर आया है।
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संघ के संयोजक प्रोफेसर कैलाश त्यागी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है और हड़ताल में शामिल हुए शिक्षकों का निलंबन निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि “यह सभी लोग पुरानी पेंशन, वरिष्ठता सहित अन्य मांगों के निराकरण के लिए शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। हर लोकतांत्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को संवैधानिक मान्यता दी गई है।” त्यागी ने पत्र में लिखा है कि “आपके यानि मुख्यमंत्री के द्वारा कई बार निर्देशित करने और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अनेकों पत्र लिखने के बाद भी प्रदेश के अधिकांश विभागों द्वारा परामर्श दात्री समिति की बैठक कई वर्षों से आयोजित नहीं की जा रही है और ना ही उच्च अधिकारी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों को मिलने का समय देते हैं। कर्मचारी और शासन के बीच संवाद हीनता की इसी स्थिति के कारण हड़ताल जैसी स्थिति उत्पन्न होती हैं। शासकीय शिक्षक महासंघ स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को निलंबित करने की कार्यवाही का कड़ा विरोध करता है।” संघ ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि इस विषय का संज्ञान लेते हुए कर्मचारी हित में सभी अधिकारियों को हड़ताली शिक्षकों से चर्चा के लिये बुलाने और उनका निलंबन निरस्त करने के लिए निर्देशित करें।