MP के संतरे को मिला नया नाम, अब कहलायेगा “सतपुड़ा ऑरेंज”

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नागपुर के संतरों के साथ अब मध्य प्रदेश का संतरा (MP Orange) भी देश में मिठास बिखेरेगा। इसका नाम होगा “सतपुड़ा ऑरेंज” (Satpura Orange), छिंदवाड़ा जिले में पैदा होने वाला ये संतरा (Chhindwara Orange)जल्दी ही देश में अपनी अलग पहचान बना रहा। मध्य प्रदेश सरकार इसके लिए लोगो और क्यूआर कोड तैयार करवा रही है।

संतरे का नाम आते ही उसकी खुशबु और स्वाद मुंह में पानी ले आती है साथ ही फ्रेशनेस भी, संतरे के नाम से एक बात और याद आती है वे है महाराष्ट्र का नागपुर, जो संतरे के लिए मशहूर है, लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि नागपुर के संतरे के नाम से बिकने वाले संतरों में एक बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश के संतरों का भी होता है।

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आप ये जानकर थोड़ा आश्चर्यचकित हो रहे होंगे, लेकिन हम आपको बताते हैं कि “ऑरेंज सिटी ‘ के नाम से मशहूर नागपुर को भी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के संतरे की सप्लाई की जाती है। महाराष्ट्र से सटे इस जिले के किसानों का नागपुर को “ऑरेंज सिटी” के रूप में पहचान दिलाने में अहम योगदान है। अब ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना में छिंदवाड़ा जिले के संतरे को “सतपुड़ा ऑरेंज” के नाम से अपनी अलग पहचान मिली है।

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क्यूआर कोड हो रहा है तैयार

“सतपुड़ा ऑरेंज” नाम से ब्रांडिंग, पैकेजिंग की योजना में लोगो और क्यूआर कोड तैयार करवाया जा रहा है। कोड को स्केन करते ही कीमत सहित संतरे की पूरी जानकारी आ जाएगी। छिंदवाड़ा संतरा पतले छिलके वाला मीठा और रस से भरपूर होता है। बढ़ती लोकप्रियता के चलते कुछ वर्षों से किसान इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सीधे भी बेच रहे हैं।

जिले के पाढुर्ना, सौंसर, बिछुआ आदि विकासखंडों के लगभग 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के बागीचों में हर साल तकरीबन साढ़े चार लाख टन संतरा होता है। इसका लगभग 60 से 70 प्रतिशत संतरा नागपुर मंडी पहुँचता है, जहाँ से देश के अन्य राज्यों और बाँग्लादेश में भी भेजा जाता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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