भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राजधानी में हरियाली साल दर साल घटती जा रही है। बीते 5 सालों में करीब ढाई लाख पेड़ काटे गए हैं। यह वो पेड़ थे जिनकी उम्र 40 साल से ज्यादा थी। इतने पेड़ कटने के बाद यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। शहर में कहीं पेड़ काटे जाते हैं तो कहीं लापरवाही में पेड़ों को नुकसान पहुंचाने के दूसरे तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है
दरअसल आए दिन शहर में पोस्टर, होर्डिंग आदि लगाने के लिए पेड़ों में कील ठोंकी जाती हैं। इतना ही नहीं, शहर की सड़कों के किनारे लगे पेड़ों पर रिफ्लेक्टर यानि रेडियम भी लगाए जाते हैं। इस कारण पेड़ अंदरूनी रूप से कमजोर हो जाते हैं और वो खुद ही सूखने लगते हैं। यह एक मुख्य कारण बन गया है शहर में पेड़ों की कमी का। चूंकि शहर की हरियाली धीरे-धीरे सिमट रही है ऐसे में पेड़ों को बचाने के लिए नगर निमग पहल करने जा रहा है।
निगम शहर सड़कों के पेड़ों पर लगे रिफ्लेक्टर हटाएगा
नगर निगम ने पेड़ों पर लगे रिफ्लेक्टर हटाने के लिए संबंधित एजेंसियों से बातचीत की है, ताकि पेड़ों को बचाया जा सके। बता दे कि पीईबी चौराहे से भोपाल हाट तक 100 से ज्यादा पेड़ हैं। इन पेड़ों में से ज्यादातर पर 180 से ज्यादा रिफ्लेक्टर लगे हुए हैं, जिन्हे लगाने के लिए पेड़ों में कीले ठोकी गई हैं और बहुत से पेड़ सूखने लगे हैं।
विकास के नाम पर हरियाली की बलि
शहर की ऐसी 9 जगह हैं जहां सरकारी और व्यावसायिक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के चलते 95 हजार 850 पेड़ काटे जा चुके हैं। अगर थोड़े साल और पीछे चलें तो बीते एक दशक में भोपाल की हरियाली 35 फीसदी से घटकर 9 फीसदी पर आ गई है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि दस साल में शहर का कुल 26% ग्रीन कवर खत्म कर दिया गया है और उसे भी ज्यादा हैरानी की बात हैं यह कि सिर्फ शहर की हरियाली में 13 फीसदी की गिरावट सिर्फ 3 सालों में आई है।