Ram Setu : नरोत्तम मिश्रा ने की फिल्म ‘रामसेतु’ की दिल खोलकर तारीफ, अक्षय कुमार को दी बधाई

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अक्षय कुमार (Akshay kumar) अभिनीत फिल्म रामसेतु (Ram Setu) दर्शकों को बांधने में कामयाब होगी। ये फिल्म त्रेता युग में बने रामसेतु के अस्तित्व के इर्द गिर्द सत्य घटना से प्रेरित और काल्पनिक विषयवस्तु पर आधारित है। फिल्म रामसेतु के अस्तित्व को नकारने की कोशिश का पुरज़ोर विरोध करती है। यह फ़िल्म एक ऐसे आर्कियोलॉजिस्ट के जद्दोजहद की कहानी हैं जो नास्तिक है और धार्मिक विषय को भी विज्ञान के पैमाने पर तौलता है जिसका मानना है धर्म विवाद की वजह हैं।

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फिल्म की शुरुआत अफ़गानिस्तान में बुद्ध प्रतिमा को तालिबान के बम से उड़ाने से होती है। उस मिशन से वापसी के बाद पुरातत्व विशेषज्ञ आर्यन कुलश्रेष्ठ को भारत सरकार महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करती है जहांं आर्यन कुलश्रेष्ठ की रामसेतु के श्रीराम के काल में निर्मित न होने की थ्योरी वाली रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत होने से पूरे देश में हंगामा हो जाता है विवाद बढ़ने के बाद उन्हें पद से हटा दिया जाता है। यहां से शुरु होती डॉ आर्यन कुलश्रेष्ठ के संघर्ष की कहानी। वो एक मिशन पर निकलता है जहां उसे एक टीम  मिलती है। वो तैरने वाला पत्थर हासिल करने में सफल हो जाता है और यहीं से मिशन में शामिल टीम आपस में बंट जाती है। इसके बाद अक्षय और इस फ़िल्म में उनकी टीम में काम कर रही डॉ सैंड्रा जिसकी भूमिका जैकलीन फर्नांडिस (Jacqueline Fernandez) ने निभाई है, जान जोखिम में डालकर एक दुस्साहसिक रोमांचकारी खोज में श्रीलंका पहुंच जाते हैं जहां शुरू होती है राम और रावण के अस्तित्व की वैज्ञानिक खोज। फ़िल्म में न्यायालय में जिरह का दिलचस्प दृश्य भी है ।
अक्षय कुमार के ज़ोरदार अभिनय के साथ आर्यन कुलश्रेष्ठ की पत्नी प्रोफ़ेसर गायत्री यानी नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) की ऊहापोह, फ़िल्म में विलेन साउथ फ़िल्म के दिग्गज कलाकार नस्सर और गाइड बने साउथ फिल्मों के स्टार सत्यदेव का अभिनय भी शानदार है। सत्यदेव की भूमिका में ज़बरदस्त सस्पेंस भी है।  मध्यांतर तक बहुत तेज़ी से आगे बढ़ती फ़िल्म में तालिबान और लिट्टे के हमले के ज़ोरदार सीन भी हैं। अंत तक लेखक निर्देशक अभिषेक शर्मा का निर्देशन दर्शकों को बांधने में कामयाब रहा है। फ़िल्म का विषय दर्शकों को थियेटर तक लाने में सफल होगा और उसके बाद उसका फिल्मांकन और वीएफएक्स तकनीक का प्रयोग इसे शानदार बनाता है।
फिल्म की विषयवस्तु करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर आधारित है तो इसमें ईसाइयों, मुस्लिमों में भी चर्चित इसके नाम एडम ब्रिज और आदम पुल का भी उल्लेख है। फिल्म मनोरंजक तो है ही लेकिन कांग्रेस शासनकाल में रामसेतु पर दिए हलफ़नामे और उसके बाद की अदालती कार्रवाई के ऐतिहासिक सत्य के बाद की काल्पनिक कहानी राजनीतिक निशाने पर भी आ सकती है। फिल्म का एक अंश तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ जाता प्रतीत होता है जो ज़ाहिर है कांग्रेस और उसके सहयोगियों को ये नागवार गुज़र सकता है। इस विषय में फ़िल्म निर्माता पहले ही कह चुके हैं कि यह फ़िल्म सत्य घटना से प्रेरित फिक्शन (काल्पनिक) है।
दो फिल्मों सम्राट पृथ्वीराज और रक्षाबंधन के कुछ ख़ास न कर पाने के बाद अक्षय की बॉक्स ऑफ़िस में कामयाब फ़िल्म की खोज यह फ़िल्म पूरी करेगी और रिलीज़ होते ही इसको टैक्स फ्री करने की मांग भी उठने लगी है। फ़िल्म हिंदी, तमिल और तेलगु में एक साथ रिलीज़ हुई है इसकी स्टार कॉस्ट में भी हिंदी और दक्षिण भारतीय शामिल हैं। अक्षय कुमार , नस्सर और सत्यदेव ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। नुसरत भरूचा के पास करने को बहुत कुछ नही है लेकिन वो अपने किरदार में स्वाभाविक लगी हैं। ग्लैमरस जैकलीन इस बार पुरातत्व विशेषज्ञ के रूप में गंभीर भूमिका करती नज़र आईं हैं। अक्षय की यह फ़िल्म राष्ट्रवाद से होकर हिंदुत्व की राह पर चलती नज़र आ रही है

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।