केमिकल्स से तैयार हो रहा नया आलू, जनता की सेहत खतरे में

मुनाफे के लालच में यह आलू कारोबार अब एक खतरे के रूप में सामने आया है। ऐसे में लोगों को सजग रहकर इस तरह के आलू से बचने की आवश्यकता है।

Amit Sengar
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Potato : जहाँ पहले फलों और सब्जियों को पकाने, उनकी पैदावार बढ़ाने और ताजगी बनाए रखने के लिए केमिकल का उपयोग किया जाता था अब व्यापारियों की मुनाफाखोरी के चलते यह कैमिकल खुलेआम बेचे जा रहे है। ताजा उदाहरण है बाजार में बिक रहे ‘नए’ आलू का, जो दरअसल पुराने आलू को खतरनाक अमोनिया केमिकल से तैयार किया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से शहर में 40 रुपये किलो बिकने वाला आलू अब 60 रुपये किलो बिक रहा है। व्यापारियों के अनुसार, एक रात में अमोनिया केमिकल से पुराने आलू को नया बना दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सिर्फ आलू का रंग और रूप नहीं बदलता, बल्कि उसका वजन भी बढ़ जाता है। इससे कारोबारियों को दोगुना मुनाफा हो रहा है, जबकि जनता की सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

नकली आलू और असली आलू में फर्क

व्यापारी ने बताया कि असली नया आलू मिट्टी में लिपटा होता है और पानी में डालने पर मिट्टी आसानी से निकलती नहीं है। वहीं, केमिकल से तैयार आलू को पानी में डालते ही मिट्टी घुलकर आसानी से साफ हो जाती है, जो इसे पहचानने का एक मुख्य तरीका है। हालांकि, दुकानदार इस फर्क को समझते हुए भी जानबूझकर केमिकल वाला आलू बेच रहे है, क्योंकि इस पर उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है। अमोनिया का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। सीनियर न्यूट्रीशियन के अनुसार, अगर अमोनिया की मात्रा अधिक हो, तो यह दिमागी हालत पर असर डाल सकता है और विभिन्न मानसिक समस्याएं परेशानियां हो सकती है

व्यापारियों पर होगी कार्रवाई

बातचीत के दौरान खाद्य अधिकारी ने बताया कि इस मामले में सैंपलिंग की जाएगी और गडबडी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उन्होंने आलू, यह भी स्वीकार किया कि 15 दिनों से यह बजार में बिक रहा है, लेकिन अभी तक इसकी कोई सैंपलिंग नहीं की गई है। अधिकारी ने कहा कि यदि अमोनिया वाले आलू का मामला सही पाया गया तो संबंधित व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कैसे होता है अमोनिया का प्रयोग ?

आलू में बदलाव लाने के लिए व्यापारियों ने अमोनिया पाउडर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। व्यापारी बताते हैं कि 50 रुपये किलो अमोनिया पाउडर खरीदकर, उसे पानी में घोलकर पुराने आलू को 14 घण्टे तक इस घोल में डुबोते हैं। इस प्रक्रिया के बाद आलू का वजन बढ़ जाता है और उसकी सतह भी चमकदार हो जाती है, जिससे वह ‘नया’ दिखता है। हालांकि, यह आलू जल्दी खराब भी हो सकता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में उसकी ताजगी बनी नहीं रहती।

नौजवानों को सजग रहने की जरूरत

समाज में बदलते हुए पैटर्न और मुनाफे के लालच में यह आलू कारोबार अब एक खतरे के रूप में सामने आया है। ऐसे में लोगों को सजग रहकर इस तरह के आलू से बचने की आवश्यकता है। जो आलू बाजार में ‘नया’ दिख रहा है, वह दरअसल पुराने आलू का ‘केमिकल संस्करण’ हो सकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से यह एक गम्भीर मुद्दा है, और इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि पुराने जमाने के किसानों के संस्कार और खाद्य सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों को पुनः अपनाया जाए, ताकि इस तरह के मुनाफाखोरी के खेल से लोगों की सेहत बच सके और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखा जा सके।

*Disclaimer :- यहाँ दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई सामान्य जानकारी है, Mpbreakingnews दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। साथ ही इसके लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं लेता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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