भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना को लेकर मध्य प्रदेश सरकार पूरी तरह अलर्ट मोड पर है वही अब रेल मंत्रालय ने भी एक बार फिर डेढ़ साल पहले तैयार किए गए आइसोलेशन कोच को फिर से आकस्मिक परिस्थितियों के लिए तैयार कर लिया है, कोचों में साफ-सफाई कर दी है। बिस्तरों का इंतजाम कर लिया है। जरूरी मेडिकल उपकरण भी रख दिए गए हैं। हालांकि इन कोचों की अभी जरूरत नहीं पड़ रही है लेकीन आने वाले वक़्त में अगर इन कोच की जरूरत पड़ती है तो यह पूरी तरह तैयार है।
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मार्च 2020 में जब देश सहित मध्य प्रदेश में कोरोना की शुरुआत हुई थी तब बिगड़ते हालातों के बाद रेल विभाग ने फैसला लेते हुए ऐसे कोच तैयार किए थे, जिनमें तमाम इंतजाम किए गए थे की कोरोना संक्रमित मरीज को इसमें आइसोलेट किया जा सके, वही इन मोबाइल आईसोलेशन कोचों का उपयोग दूसरी लहर के दौरान भोपाल में किया गया था। इन कोचों को प्लेटफार्म छह पर खड़ा किया था। इन्हीं मिनी वार्ड का रूप दिया था। इनके अंदर बिस्तर, दवाईयां, सिलेडर आदि की व्यवस्था थी। तब इनमें 70 मरीजों को भर्ती किया गया था।
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पूरे देश में जब मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर और डेल्टा वेरिएंट अपना खासा असर दिखा रहा था तब कोरोना संक्रमण के बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी कोच निर्माण कारखाना में इस तरह के कोच तैयार कराए थे। हालांकि ये पुराने कोच ही है जिनमें मामूली बदलाव किया गया है। भोपाल रेल मंडल ने करीब 300 से अधिक कोच तैयार किए थे। इनमें निशातपुरा रेल कारखाना द्वारा तैयार कोच भी है। एक कोच को तैयार करने और उसे अस्पताल के मिनी वार्ड के रूप में विकसित करने में करीब पौने दो लाख से ढाई लाख रूपये का खर्च आया था।
राजधानी भोपाल में जब यह कोच तैयार किए गए तो पूरे देश में इनकी चर्चा हुई थी, जिसके बाद कोच दिल्ली भी भेजे गए थे जहां पर कोरोना संक्रमितों को भर्ती किया गया था। डेढ़ वर्ष हो चुके हैं ये कोच अभी भी दिल्ली रेल मंडल के पास ही है। बाकी के कोच भोपाल रेलवे स्टेशन यार्ड में, निशातपुरा कोच फैक्ट्री में और कुछ जबलपुर रेल मंडल को भेजे गए हैं। हालांकि 2021 जुलाई में कोरोना के मामले तेजी से घटने शुरू होने के बाद इन कोच को हटा लिया गया था। फिलहाल अब एक बार फिर जब तीसरी लहर और नये वेरिएंट को देखते हुए रेल मंत्रालय ने इन कोच को दुबारा आइसोलेशन के लिए पटरियों पर उतार दिया है।