भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कृषि मंत्री कमल पटेल (agriculture minister kamal patel) ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए फसल क्षेत्र की शर्त 100 हेक्टेयर के स्थान पर 50 हेक्टेयर करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। फसल बीमा योजना में क्षेत्र के निर्धारण का यह बदलाव वनग्रामों के किसानों के साथ अन्य छोटे और सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित होगा।
अतिवृष्टि और बाढ़ से बर्बाद हुई खरीफ फसल में किसानों के हित सुरक्षित रखने के लिए बीमा को प्रोत्साहित करते रहे कृषि मंत्री कमल पटेल ने फसल बीमा का लाभ प्रदेश के सभी वनग्रामों और छोटे से छोटे किसानों तक पहुंचाने के लिए एक और प्रभावी पहल की है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने इसके लिए फसल बीमा के लिए निर्धारित शर्तों में बदलाव के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की निर्देश दिए हैं। अब तक राजस्व ग्राम और पटवारी हल्का स्तर पर 100 हेक्टेयर या उससे अधिक फसल क्षेत्रफल का चयन किया जाता था। फसल बीमा योजना के इस प्रचलित प्रावधान से ऐसे पटवारी हल्के जहां चयनित फसल का क्षेत्रफल 100 हेक्टेयर से कम है, इस महत्वपूर्ण योजना में शामिल नहीं हो पाते हैं जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य सबसे वंचित वर्ग को योजना के माध्यम से अधिकतम लाभ पहुंचाना है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल को यह तथ्य तब पता चला जब वह खराब फसलों का जायजा लेने गांव-गांव और खेतों में पहुंच कर किसानों से चर्चा कर रहे थे। जिस समय यह तथ्य सामने आया उस समय बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित केवल पांच जिलों में फसल बीमा योजना के लिए प्रीमियम जमा करने की तारीख बढ़ाई गई थी। कृषि मंत्री कमल पटेल ने तत्काल वनग्रामों को निकटवर्ती राजस्व ग्रामों और पटवारी हल्का से संबंद्ध कर उन्हें बीमा लाभ से जोड़ा, हालांकि समय कम रहने से इसका लाभ केवल दो जिलों सीहोर और हरदा के वनग्रामों को ही मिल सका।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के उद्देश्य और महत्व को दृष्टिगत रखते हुए समस्त वनग्रामों को और योजना का अधिकतम कवरेज एवं लाभ दिलाने के लिए पटवारी हल्का स्तर पर 50 हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली चयनित फसलों को दायरे में लाने की आवश्यकता जताई है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने अगले खरीफ सीजन से पहले प्रचलित प्रावधान में परिवर्तन कर 50 हेक्टेयर करने के लिए प्रमुख सचिव कृषि को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।