विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत आयोजित सेमिनार में समस्या समाधान पर हुई चर्चा

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह (World Mental Health Week) के अंतर्गत आज भोपाल में होटल लेक व्यू में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का विषय अंतरराष्ट्रीय थीम “सभी के लिये मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को वैश्विक स्तर पर प्राथमिकता” था। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मप्र के सहयोग से किया गया।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत आयोजित सेमिनार में समस्या समाधान पर हुई चर्चा

सेमिनार की शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र में मानसिक स्वास्थ्य के उपसंचालक डॉ शरद तिवारी के स्वागत भाषण से हुई।  उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व बताते हुए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत प्रदेश में प्रदान कराई जा रहीं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त ज़िला चिकित्सालय स्थित मनकक्ष के माध्यम से मानसिक समस्याओं की निःशुल्क जांच, परामर्श, उपचार और जागरूकता की सतत गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। इसके साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशिक्षण और आई ई सी की विभिन्न गतिविधियां भी आयोजित की जा रही हैं।

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मुख्य वक्ता मनोचिकित्सक डॉ सत्यकान्त त्रिवेदी ने कहा कि पूरी दुनिया के साथ साथ हमारे देश और प्रदेश में भी मानसिक समस्याएं चुनौती बनती जा रही हैं । इनके अंतर्गत बढ़ती नशे की समस्या और आत्महत्या की प्रवृत्ति भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी हैं, जो एक चिंता का विषय है और इसके समाधान के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।

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उन्होंने बताया कि मानसिक समस्याओं के उपचार के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है जिसके अंतर्गत सभी जिलों में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से किया जा रहा है। डॉ सत्यकान्त त्रिवेदी ने कहा कि आत्महत्या की प्रवृत्ति पर नियंत्रण हेतु मध्यप्रदेश सरकार पूरे देश में सबसे पहले नीति निर्माण हेतु कृत संकल्पित है और कुछ ही माह में प्रदेश की आत्महत्या रोकथाम नीति हमारे सामने होगी जिससे आत्हत्या की रोकथाम में मदद मिलेगी। ‘

डॉ सत्यकान्त त्रिवेदी ने कहा कि कोविड के उपरांत मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में बहुत वृध्दि हुई है क्योंकि कोविड ने लोगों को सामाजिकता से दूर करते हुए अकेलापन दिया जिससे हम क्रमशः उबर रहे हैं । डॉ त्रिवेदी ने अपने वक्तव्य में मानसिक स्वास्थ्य हेतु ट्रीटमेंट गैप के साथ साथ इन्फॉर्मेशन गैप पर भी प्रकाश डालते हुए इनके समाधान पर भी चर्चा की।

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सेमिनार को भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंस में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और मनोवैज्ञानिक डॉ विनय मिश्रा और जय प्रकाश चिकित्सालय भोपाल के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट राहुल शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंस के मनोविज्ञान विभाग के छात्र छात्राओं ने मानसिक स्वास्थ्य आधारित एक नुक्कड़ नाटक की भी प्रस्तुति दी। आभार प्रदर्शन विश फाउंडेशन की सीनियर कंसलटेंट रोहिणी जिंसीवाले ने किया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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