भोपाल। प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की आधिकारिक रणभेरी भले ही न बजी हो पर राजनीतिक दलों ने चुनाव अधिकारी नियुक्त होने के साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में राज्यसाभा की तीन सीटों के लिए चुनाव मार्च में होना तय है। इसके लिए अब सियासी गुणा-भाग लगना शुरू हो गए हैं। राज्यसाा चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के चयन का मसला फिलहाल टाल दिया लगता है। माना जा रहा है कि राज्यसाा के लिए नेताओं के नाम तय हो जाने के बाद ही अब प्रदेश अध्यक्ष पर विचार किया जाएगा।
कांग्रेस में पिछले डेढ़ साल से सीएम कमलनाथ सीएम के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पद की जिमेवारी संभाल रहे हैं। सीएम खुद कह चुके हैं कि वे इस पद पर नहीं रहना चाहते पर कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा यह निर्णय हाईकमान को करना है। पिछले एक साल से कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। करीब आधा दर्जन नाम भी राजनीतिक वीथिकाओं में चल रहे हैं पर अब तक हाईकमान ने किसी एक नाम पर मुहर नहीं लगाई है। जो नाम चर्चाओं में हैं उनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव, मंत्री बाला बच्चन, उमंग सिंगार और हाल ही में विधायक बने पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के नाम प्रमुख हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है, कैडर बैस इस पार्टी में चुनाव की प्रक्रिया पिछले तीन महीनों से चल रही है। अधिकांश मंडलों और आधे से अधिक जिलों में अध्यक्ष के चुनाव भी सर्वसमति से हो चुके हैं। दिसंबर माह में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना था पर इसे टाल दिया है। बीस जनवरी को दिल्ली में भाजापा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो चुका है। अब यह तय हो चुका है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। माना जा रहा है कि पार्टी अब राज्यसाा के चुनाव होने के बाद ही नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर काम करेगी।
ये नाम राज्यसाभ के लिए रेस में
भाजपा से जो दो वरिष्ठ नेता आभी राज्यसाा सांसद हैं उन्हें पार्टी फिर से रिपीट करेगी इस पर पार्टी के नेता ही संशय जता रहे हैं। प्रभात झा लगातार दो बार से सांसद हैं। वहीं सत्यनारायण जटिया को उनकी उम्र का हवाला देकर टिकट से वंचित किया जा सकता है। जटिया पूर्व में लोकसभा और राज्यसभा दोनों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है। हालांकि झा का दावा अभी भी मजबूत बना हुआ है। भाजपा प्रदेश के कोटे से दिल्ली के नेताओं को भी मौका देती आई है। ऐसे में हाईकमान प्रदेश के बाहर के किसी नेता को भी मैदान में उतार सकती है। वहीं कांग्रेस से इस बार दो सदस्यों को मौका मिलना है। वर्तमान सांसद दिग्विजय सिंह को फिर से राज्यसभा भेजे जाने की पूरी पूरी संभावना है। इसके अलावा राज्यसभा के लिए अरूण यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की चर्चा में हैं।