भोपाल।
सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है।पत्र के माध्यम से उन्होंने अधिकारियों द्वारा की जा रही आर्थिक गड़बड़ियों और घपले घोटाले की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने सीधे तौर पर सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए है।उन्होंने गुप्ता द्वारा एक अशासकीय संस्था को चन्द महीनों में यू टर्न लेते हुए क्लीन चिट देने की जांच की मांग की है। वही उन्होंने दोषियों कठोर दंड की बात करते हुए क्लीन चिट निरस्त करने की भी मांग की है।
दुबे ने पत्र में लिखा है कि सिहोर जिले के कलेक्टर अजय गुप्ता ने दिनांक 19 सितम्बर 2019 को बड़ी आर्थिक गड़बड़ी की जिम्मेदार एक अशासकीय संस्था न्यू प्रताप शिक्षा समिति सीहोर /भोपाल पर सीहोर कोतवाली में दर्ज FIR पर नियमानुसार कार्यवाही करवाने की बजाय उसको क्लीन चिट देते हुए नए कार्यो को देने की अनुशंसा प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण विभाग जे एस कंसोटिया से की है।इस दागी संस्था के विरुद्ध पूर्व सीहोर कलेक्टर गणेश मिश्र ने अवैधानिक मम संकल्प नशा मुक्ति केंद्र संचालित कर जनता से पैसा वसूलने पर दिनांक 15 मई 2019 को पत्र लिखकर कोतवाली थाना सिहोर में 29 मई 2019 को FIR दर्ज करवाई थी ।पूर्व कलेक्टर मिश्र की अनुशंसा पर इस संस्था की मान्यता भी संचालक समाज कल्याण मप्र द्वारा समाप्त की गई तथा संस्था ने रुपए 50000 का आर्थिक दंड भी भरा और शपथ पत्र प्रस्तुत कर गलती स्वीकार करते हुए अवैध नशा मुक्ति केंद्र बन्द करने की सूचना दी।हाल में ही 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण के आदेश पर इस संस्था की मान्यता बहाल की गई और अतिरिक्त कार्य सौपने की व्यवस्था की जा रही है।
दुबे ने सरकार से मांग की है कि गैर कानूनी कार्य करने वाली संस्था पर FIR दर्ज करने के बाद सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा चन्द महीनों में यू टर्न लेते हुए क्लीन चिट देने की जांच हो एवम दोषियों को चिन्हित कर कठोर दंड दे।क्लीन चिट निरस्त की जाए। बहुचर्चित हनी मनी कांड में भी कई ngo को अनुचित आर्थिक फायदे दिए गए हैं इसलिए इस तरह के NGO के आर्थिक घोटालों के राज्य व्यापी मामलों की जांच STF से करवाई जाए।