भोपाल।
मध्यप्रदेश में बच्चों को लगने वाले डीपीटी के टीके में कुछ बदलाव किए जा रहें हैं। अब तक लगाए जाने वाले डीपीटी के टीके में शामिल डिप्थीरिया व टिटनेस के टीके में बदलाव किया गया है। अब डिप्थीरिया(गलघोटू) का टीका टिटनेस के साथ 10 और 16 साल की उम्र में बच्चों को लगाया जाएगा। इस टीके को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) के नाम से जाना जाएगा। इसमें डीपीटी के हेपेटाइटिस बी व हिब शामिल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी अगस्त माह से इस टीके को लगाने की शुरूवात की जाएगी। पहले ये दोनों टीके डिप्थीरिया व टिटनेस डीपीटी में शामिल रहते हैं।
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अब तक डीपीटी के माध्यम से इन टीकों को डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह के बाद 16 से 24 महीने की उम्र में लगाए जाने के बाद 5 साल की उम्र में इसका बूस्टर लगाया जाता है। लेकिन अब डीपीटी की जगह पेंटावैलेंट लगाया जा रहा है। टीडी लगाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि टिटनेस, डिप्थीरिया समेत कुछ टीकों का असर 4 से 5 साल तक ही रहता है। देशभर के अस्पतालों मे आने वाले मरीजों में डिप्थीरिया से पीड़ित मरीज 75 प्रतिशत होते है जो 10 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं। इस साल अंत टीकाकरण शुरू होने की उम्मीद है।
एक साल में मिले इतने मरीज
बीते एक साल में मध्यप्रदेश में अस्पताल में पहुंचे इस गंभीर बिमारी से पीड़ित 340 मरीज मिले हैं। टीकमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 70 मरीज पाए गए। टीकमगढ़ के अलावा 42 मरीज कटनी में, 40 मरीज सतना में, 30 रीवा एवं 32 गुना में मिले हैं।
महिलाओं को लगने वाले टीकें में भी हुआ बदलाव
आपको बता दें कि महिलाओं को लगने वाले टीकें में भी कुछ बदलाव हुए हैं। महिलाओं को बच्चेदानी के कैंसर मुक्त बनाने के लिए ह्यूमन पिपलोमा वायरस (एचपीवी) का टीका भी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। 13 से 19 साल की उम्र में लगेगा। निजी अस्पतालों में लगभग 2800 रुपए में लगने वाला यह टीका सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क लगाया जाएगा।
यह है डिप्थीरिया
डिप्थीरिया एक प्रकार के इंफेक्शन से फैलने वाली बीमारी है। इसे आम बोलचाल में गलाघोंटू भी कहा जाता है। यह कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। चपेट में ज्यादातर बच्चे आते हैं। हालांकि बीमारी बड़ों में भी हो सकती है। बैक्टीरिया सबसे पहले गले में इंफेक्शन करता है। इससे सांस नली तक इंफेक्शन फैल जाता है। इंफेक्शन की वजह से एक झिल्ली बन जाती है, जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एक स्थिति के बाद इससे जहर निकलने लगता है जो खून के जरिए ब्रेन और हार्ट तक पहुंच जाता है और उसे डैमेज करने लगता है। इस स्थिति में पहुंचने के बाद मरीज की मौत का खतरा बढ़ जाता है। डिप्थीरिया कम्यूनिकेबल डिजीज है यानी यह बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है।
डिप्थीरिया के लक्षण
डिप्थीरिया एक गंभीर बीमारी है इसमें सांस लेने में कठिनाई, गर्दन में सूजन, ठंड लगना, बुखार, गले में खराश, खांसी, इंफेक्शन मरीज के मुंह, नाक और गले में रहता और फैलता है। इस गंभीर बिमारी से आए दिन बच्चों की मौत के मामले सामने आते रहते हैं।