भोपाल।
अपनी मांगे पूरी ना होने के कारण एमपीपीएससी से चयनित हुए महिला असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने शासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उच्च शिक्षा विभाग के निष्क्रिय रवैए से परेशान 91 महिला असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने आज नीलम पार्क में धरने दिया औऱ सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।वही शाम को कैंडल मार्च निकाला जाएगा।
असिस्टेंट प्रोफेसर्स का कहना है कि न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या करके उच्च शिक्षा विभाग ने मेरिटोरियस 91महिलाओं को प्रभावित कह कर नियुक्ति से वंचित कर दिया।।जिसके बाद उच्च शिक्ष मंत्री एवं विधि मंत्री से संपर्क किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री ने मामले की गंभीरता से लेते हुए न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है।
इसके साथ ही विधि एवं कानून मंत्री पी सी शर्मा ने भी मेरिटोरियस महिलाओं की नियुक्ति को रोककर रखना अन्यायपूर्ण मानते हुए मामले को तुरंत संज्ञान में लिया तथा मुख्यमंत्री को भी विभिन्न माध्यमों के द्वारा उनके संज्ञान में लाया गया, किन्तु अभी भी उच्च शिक्षा विभाग उक्त दिशा में कोई कार्य करने को तैयार नहीं हैं। अप्रभावित महिलाओं कि नियुक्ति को लेकर विभाग के निष्क्रिय रवैए से परेशान इन महिलाओं ने आज विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
वही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रशासन यदि फिर भी 7जनवरी तक इस मामले में कोई सकारात्मक पहल कर इनकी नियुक्ति नहीं करता है तो ये महिलाएं आमरण अनशन करेंगी। सभी एक साथ इच्छामृत्यु की मांग मुख्य मंत्री एवं राष्ट्रपति से करेंगी।
ये है पूरा मामला
म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति हो रही है। महिला रिर्जवेसन का मामला उच्चन्यायालय में लम्बित है जिसके चलते इस परीक्षा में 18 विषयों में अनारक्षित महिला सीट पर चयनित आरक्षित वर्ग की 91 महिलाओं को ज्यादा नम्बर लाने पर भी नियुक्ति नहीं दी जा रही है। इन महिलाओं के नम्बर अनारक्षित वर्ग की महिला एवं पुरूष अभ्यर्थियों से अधिक हैं। अंग्रेजी भूगोल मनोविज्ञान आदि विषयों में तो प्रथम स्थान पर चयनित महिला को इसी कारण नियुक्ति नहीं दी गई। जबकि चयन सूची में सबसे अंतिम स्थान पर चयनित अभ्यर्थी को भी नियुक्ति दे दी गई। ध्यान देने वाली बात यह है कि पहले इन्हें सबके साथ चॉइस फिलिंग से विभाग ने रोका था, तब माननीय उच्च न्यायालय ने इन मेरिटोरियस वूमेन को प्रभावित ही नहीं माना और चॉइस फिलिंग की अनुमति दी तो फिर अभी जॉइनिंग से इन्हें कैसे और क्यों रोका गया?? क्या टॉपर होना ही इनका गुनाह है? क्यों कोर्ट के ऑर्डर की सही व्याख्या नहीं की जा रही? क्या कारण है कि पी एस सी और उच्च शिक्षा विभाग के वकील जबलपुर उच्च न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर रहे? गौरतलब है कि इन 91 महिलाओं में से लगभग 20 महिलाएं अपने विषय के प्रथम 10 पदों पर चयनित हुई हैं।