भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने आज केन्द्रीय दल को नर्मदा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में हुई क्षति का निरीक्षण करवाया। बाढ़ से करीब दस हजार करोड़ की क्षति का अनुमान लगाया गया है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि बाढ़ की स्थिति भयावह थी जिसकी भरपाई अकेले राज्य सरकार द्वारा नहीं की जा सकती, उन्होंने केंद्र सरकार से व्यापक राहत पैकेज की मांग की है।
प्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने केन्द्रीय दल प्रदेश के दौरे पर आया है। भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ समीक्षा बैठक के बाद दल के सदस्य क्षति का आंकलन करने के लिए मैदानी निरीक्षण कर रहे हैं। हरदा जिले में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने केन्द्रीय दल को बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी दी। उन्होंने हंडिया के मालपोंद गांव जाकर मकानों और सड़कों की स्थिति दिखाई। नर्मदा में उफान से हरदा सहित कई जिले 28 से 30 अगस्त तक पानी से घिरे रहे थे और जब पानी उतरा तो पीछे केवल तबाही छूट गई।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि इसके पहले वर्ष 1961 और फिर वर्ष 1973 में बाढ़ आई थी इसके बाद अब बाढ़ आई जो पहले से भी ज्यादा विकराल थी। नर्मदा ने तट पार कर गांव के गांव पानी में समा गए। इस बाढ़ से फसलें चौपट हो गई, इसके साथ ही मकान, सड़क, पुल पुलिया तक बह गये। बाढ़ से आम लोगों के साथ ही सरकारी संपत्ति को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है। केन्द्रीय दल ने नुकसान को देखा है, कमल पटेल ने कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार बाढ़ से राज्य में करीब दस हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। मंत्री कमल पटेल ने कहा कि नुकसान बहुत बड़ा है, राज्य सरकार अपने अकेले के दम पर इसकी भरपाई नहीं कर सकती, उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पीड़ितों के साथ हैं, उन्हें तात्कालिक राहत दी जा रही है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से विशेष राहत पैकेज दिए जाने की जरूरत है। मंत्री कमल पटेल ने इसके साथ ही उम्मीद जताई कि केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर इस संकट का सामना कर लेंगे।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रदेश में अतिवृष्टि से ही फसलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था इसलिए किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जोड़ा गया। प्रदेश में बर्बाद फसल का बीमा करवाकर किसानों को बचाए रखने की कोशिश की गई है ताकि वह देश के लिए कृषि कार्य करते रहें।