भोपाल।
प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आते ही नित नए परिवर्तन देखने को मिल रहे है।अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 14 साल पुरानी परंपरा को तोड़ हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाया जाने वाला ‘वंदे मातरम’ को बंद करने का फैसला लिया है। नाथ के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेजी से शुरु हो गया है। कमलनाथ के इस फैसले पर भाजपा ने हमले बोलने शुरु कर दिया है।हालांकि सरकार की तरफ से इसको लेकर अभी कोई बयान सामने नहीं आया है।
दरअसल, मलनाथ सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य सचिवालय के बाहर हर महीने की पहली कामकाजी तारीख को वंदे मातरम नहीं गाया जाएगा.। कर्मचारियों को कहा गया है कि वे जनता के कल्याण के कामों पर ध्यान दें। बताते चले कि हर महीने के पहले कामकाजी दिन में भोपाल स्थित मंत्रालय में होने वाला वंदे मातरम आज एक जनवरी को नहीं गाया गया, जबकि पिछली सरकार में ऐसा होता था।सूबे की शिवराज सरकार ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। इसके तहत मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को परिसर में इकट्ठा होकर एकसाथ राष्ट्रगीत मिलकर ‘वंदे मातरम’ गान करते थे। इससे पहले भी वंदे मातरम को लेकर सियासत होती रही है।
भाजपा ने किया विरोध
बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि कांग्रेस देश में इसी तरह का माहौल बनाना चाहती है । आज वंदे मातरम के गायन को बंद किया गया है और आने वाले समय में मध्य प्रदेश में भारत माता की जय बोलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। कांग्रेस देश के टुकड़े करने वालों का समर्थन करती है , यही वजह है कि 13 साल से मंत्रालय में चलने वाले वंदे मातरम गायन को इस वर्ष नहीं होने दिया गया। वही भाजपा सरकार में मंत्री रहे उमा शंकर गुप्ता ने कहा, ‘जिस वंदे मातरम को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी गई उससे कांग्रेस को परहेज है तो मानसिकता समझ लीजिये।