Video : भोपाल मेट्रो का सेफ्टी ट्रायल रन, सुभाष नगर डिपो से रानी कमलापति स्टेशन तक दौड़ी ट्रेन

Atul Saxena
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Bhopal Metro Trial Run:  भोपाल के लोगों को जल्दी ही मेट्रो ट्रेन के सफ़र का आनंद मिलने वाला है, आज मेट्रो का सेफ्टी ट्रायल रन किया गया, ट्रेन को सुभाष नगर डिपो से रानी कमलापति स्टेशन तक चलाया गया, मेट्रो सेफ्टी ट्रायल रन का ढोल नगाड़ों की धुन पर स्वागत किया गया। उम्मीद जताई जा रही है कि 2 अक्टूबर को फाइनल ट्रायल रन होगा, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

सुभाष नगर डिपो से RKMP के बीच दौड़ी मेट्रो ट्रेन  

भोपाल मेट्रो का काम अब अंतिम चरण में है, भोपाल में सोमवार को कल सुभाष नगर स्थित डिपो में सबसे पहले कनेक्टिविटी और टेस्टिंग प्रोसेस पूरी की गई फिर ट्रेन के कोच ट्रैक पर चढ़ाये गए और फिर को ट्रेक पर लाकर डिपो में ट्रायल रन किया गया, उसके बाद आज मंगलवार को इसका सेफ्टी ट्रायल रन शुरू किया गया, सुभाष नगर डिपो से रानी कमलापति स्टेशन तक चलाया गया।

17 सितम्बर को गुजरात से भोपाल पहुंचे थे मेट्रो ट्रेन कोच 

गौरतलब है कि 17 सितंबर की रात को वड़ोदरा के सांवली से भोपाल तक  करीब 1000 किलोमीटर की दूरी तय कर मेट्रो के तीन कोच पहुंचे थे। 18 सितंबर को उन्हें डिपो में बने इंस्पेक्शन बे लाइन (IBL) पर लाया गया। IBL पर सीनियर इंजीनियर्स, टेक्निकल एक्सपर्ट्स, सुपरवाइजर्स की टीम ने कोच की टेस्टिंग शुरू की। लगभग एक सप्ताह तक कोच की टेस्टिंग की गई उनकाअसेम्बलिंग कार्य किया गया फिर सोमवार को उन्हें मेट्रो ट्रैक पर चलाकर देखा गया। इसके बाद अब आज इसे सुभाष नगर से लेकर रानी कमलापति स्टेशन तक चलाकर देखा गया।

ये है इन कोच की खासियत

  • मेट्रो ट्रेन का हर कोच 22 मीटर लंबा और 2.9 मीटर चौड़ा है।
  • स्वचालित ट्रैक निगरानी प्रणाली।
  • सभी कोच एयर कंडिशनर होंगे।
  • – इंटेलिजेंट सीसीटीवी सिस्टम (आईसीसीटीवी)।
  • अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन (यूटीओ) मोड से लेस।
  • – ट्रेन नियंत्रण और प्रबंधन प्रणाली (टीसीएमएस) में साइबर सुरक्षा सुविधाएं।
  •  मेट्रो के एक कोच में करीब 50 पैसेंजर बैठ सकते हैं। वहीं, इसमें 300 पैसेंजर के खड़े रहने की भी व्यवस्था रहेगी।
  • एलईडीपैनल/डिजिटल रूट मैप एवं साइनेज।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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