ना जाने कब कुपोषण मुक्त हो पाएगी राजधानी

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भोपाल। प्रदेश में एक और लावारिस बच्चों को पोषण देने के नाम पर मिल्क बैंक शुरु किया जा रहा है| पोषण के नाम पर हर साल करोड़ों की राशि बजट में दी जाती है लेकिन नतीजे सिफर हैं| जिसकी बानगी बैरसिया का रहने वाला 4 साल का वो बच्चा है जिसका वजन 1 साल से बच्चे से भी कम है| इस बच्चे के सामने आने के बाद भी सरकार की आंख नहीं खुली है| सरकारें भले बदल जाएं लेकिन बच्चों के हालात प्रदेश में जस के तस हैं| हर साल आंकड़े सरकार की कलई खोलते हैं लेकिन सरकार| योजनाओं के नाम पर पल्ला झाड़ लेती हैं| आंकड़े बताते हैं के राजधानी भोपाल में कुपोषण बच्चे करीब 25 हजार से ज्यादा है जिसमें 56 की हालात बेहद गंभीर है..लेकिन सरकार कभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण आहार के बजाए टैब थमा रही है तो अब मेन्यू बदलने की बात कर रही है|

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कब सुधरेंगे हालात?

– एमपी की राजधानी में करीब 25 हजार बच्चे कुपोषित

– अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1794 

– कुपोषण से गंभीर हालात में पहुंच चुके बच्चों की संख्या है 56

– राजधानी में सबसे खराब हालात जेपी नगर परियोजना के यहां 288 बच्चे अतिकुपोषित जिसमें 6 की हालत गंभीर

– गोविंदपुरा परियोजना में 281 बच्चे अतिकुपोषित पाए गये जिसमें 12 की हालात बेहद खराब

-कोलार में 163 बच्चे अति कम वजन के, 15 कुपोषण से गंभीर हालत में

– बरखेड़ी में अति कम वजन के 157 तो बाणगंगा में 140 बच्चों को मिला सामान्य से कम वजन

कुपोषण के नाम पर सियासी संग्राम दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और शायद यही वजह है कि सरकार ने मेन्यू बदलने की तैयारी की| वहीं इस मामले में बीजेपी का कहना है कि सरकार बातें बनाने की बजाए योजनाओं पर काम करे तो स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है| बच्चों के नाम भले पार्टियां कितनी ही बातें क्यों न करे लेकिन महिला एंव बाल विकास की वेबसाइट पर मौजूद ये आंकड़े खुद सरकार के वादों की सच्चाई बयां करते हैं..और बता रहे हैं कि सरकार अब भी बच्चों के पोषण के मामले में गंभीर नहीं तो इसका हर्जाना जाने कितनी मासूम जिंदगियों को भुगतना पड़ेगा|


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