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Sun, Dec 14, 2025

बाघ का मिला कटा सिर, फॉरेस्ट की रिपोर्ट पर वाइल्ड एक्टिविस्ट अजय दुबे ने उठाए सवाल, कहा- वन विभाग का दावा विश्वास योग्य नहीं

Written by:Sushma Bhardwaj
बाघ का मिला कटा सिर, फॉरेस्ट की रिपोर्ट पर वाइल्ड एक्टिविस्ट अजय दुबे ने उठाए सवाल, कहा- वन विभाग का दावा विश्वास योग्य नहीं

Bhopal-Tiger Scalp in Satpura Tiger Reserve: आखिरकार 10 दिन की मशक्कत के बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और एसटीएफ के जांच दल को टाइगर का कटा सिर मिल ही गया। यह सिर उन्हें धासई नाके से लगभग 200 मीटर दूर एक रपटे के ऊपर मिला। बीट गार्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बाघ के इस कटे सिर को दो कुत्ते नोच रहे थे, फॉरेस्ट गार्ड ने फौरन इन कुत्तों को मौके से भगाया और  कटा बाघ का कटा सिर मिलने की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। जानकारी के बाद वन्य अधिकारियों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थल का निरीक्षण कर टाइगर के कटे हुए सिर एवं अन्य अवयवों को जप्ती में लिया। जब्ती में लेने के बाद कटे हुए सिर का परीक्षण कर सैंपल लेकर वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ सेंटर जबलपुर को आगे के परीक्षण के लिए भेजा गया।

उठे सवालिया निशान 

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट द्वारा दी गई जानकारी और किए गए दावों पर वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे में सवालिया निशान खड़े किए हैं। दुबे ने सीधे-सीधे कहा है कि जो दावा फॉरेस्ट द्वारा किया गया है वह विश्वास योग्य नहीं है। इसके बाद दुबे ने सवालों के माध्यम से अपनी बात को मजबूती दी है। इतना ही नहीं उन्होंने मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने की मांग भी की है। अजय ने लिखा, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में शिकार हुए बाघ का धंसई गेट पर खराब हालत में सर मिलने का दावा फॉरेस्ट ने किया है जो विश्वास योग्य नहीं है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जारी बयान अनुसार आज सुबह श्रमिक ने पेट्रोलिंग के समय कुत्तों को टाइगर के सर का मांस खाते देखा।

उठे यह सवाल

1) कुत्तों का वीडियो फोटो कहा है?
2)कोर एरिया में कुत्ते कैसे आए और 15-20 दिन पुराना टाइगर का मांस कुत्ते कैसे खा रहे थे?
3)फॉरेस्ट दावा करता है कि सतपुड़ा डीडी संदीप फेलोज और दूसरे अफसर तत्काल कैसे पहुंच गए क्योंकि फॉरेस्ट रिपोर्ट अनुसार बाघ के शिकार की सूचना 25 जून को मिलने पर अफसर 18 घंटे बाद पहुंचे थे।

हमारे अनुसार सिर किसी और का हो सकता है क्योंकि शिकारी 12 दिन से फरार है इसलिए वैज्ञानिक रिपोर्ट के पहले फॉरेस्ट का दावा भरोसे योग्य नहीं है। बाघ के शिकार का मुद्दा राष्ट्र स्तर पर उठने और फॉरेस्ट की पूछताछ के बाद आदिवासी युवक की आत्महत्या से यह सब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और शिकारी की मिलीभगत से केस को दफन करने की साजिश की जांच दिखती है , एफडी कृष्णमूर्ति को हटाकर जांच बाहरी टीम करे।

 

क्या है पूरा मामला

दरअसल 26 जून को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में सर कटा मृत बाघ मिलने से सनसनी फैल गई थी। इतना ही नहीं इस घटना ने मध्य प्रदेश के समूचे वन विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए थे। इसके बाद वन विभाग ने आसपास के जिलों, गांवों और सभी वन्य क्षेत्रों में शिकारियों और बाघ के कटे सर की तफ्तीश शुरू कर दी थी। शिकारियों पर वन विभाग द्वारा ₹25000 की इनामी घोषणा भी की गई और कुछ शिकारियों को संदेह के घेरे में भी रखा गया। इस घटना के बाद संदेह के घेरे में आए एक शिकारी ने आत्महत्या भी कर ली थी।