भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल तक भाजपा शासनकाल में अवैध रेत उत्खनन का मुद्दा अक्सर गर्माता रहा और विपक्ष में रहने वाली कांग्रेस भी इस मुद्दे पर शिवराज सरकार की घेराबंदी कर माफिया को संरक्षण देने के आरोप लगाती रही| लेकिन अब जब राज्य में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन अवैध रेत उत्खनन को रोकने में न सरकार और न ही प्रशासन की दिलचस्वी है| यही कारण है कि अवैध उत्खाना के गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं और पर्यावरण पर इसका दुष्प्रभाव देखा जा सकता है| मध्य प्रदेश और राजस्थान बॉर्डर पर चम्बल में प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से रेत का अवैध कारोबार चल रहा है, जिससे न सिर्फ नदियों के लिए बल्कि वन्यप्राणियों के लिए भी खतरा बन गया है| प्रदेश में बड़े पैमान पर चल रहे अवैध उत्खनन को लेकर शिवराज सरकार में मंत्री रही यशोधरा राजे सिंधिया ने चिंता जाहिर की है और उन्होंने कहा है कि पर्यावरण के साथ रेप हुआ है, अवैध उत्खनन पर रोक लगना चाहिए इससे पहले कि देर हो जाए| ख़ास बात यह है कि बीजेपी के शासनकाल में सबसे ज्यादा रेत माफिया ने पर पसारे हैं, लेकिन तब सरकार में होने बाद भी उन्होंने इस मुद्दे को नहीं उठाया|
दरअसल, रेत माफिया की गुंडागर्दी और खुलेआम अवैध रेत उत्खनन के लिए बदनाम चम्बल क्षेत्र को लेकर छपी एक अंग्रेजी अख़बार की खबर पर यशोधरा राजे ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर चिंता व्यक्त की है| उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि ‘यह पर्यावरण का बलात्कार है और इसे बहुत देर होने से पहले रोकने की आवश्यकता है’। साथ ही उन्होंने इस गंभीर मुद्दे पर अंग्रेजी अख़बार के पत्रकार की सराहना भी की है| वहीं रेत उत्खनन से बिगड़े हालातों पर यशोधरा के ट्वीट को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने तंज कसा है| उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा कि “श्रीमंत के अनुसार पर्यावरण के साथ रेप हुआ है। श्रीमंत हम सब जानते हैं कि मुरैना में अवैध और अनियंत्रित रेत उत्खनन वाकई अत्यंत गंभीर समस्या है, श्रीमंत याद करिये की आपकी 15 साल सरकार मध्यप्रदेश में रही और 5 साल राजस्थान में रही तो जिम्मेदार कौन है ? जनता जवाब दे”|
गौरतलब है कि चम्बल क्षेत्र रेत माफिया की गुंडागर्दी के लिए जाना जाता है, जहां बन्दूक की नोंक पर रेत का धड़ल्ले से परिवहन किया जाता है| इसे रोकने वाले कई अधिकारियों को माफिया निशाना बना चुकी है, जिसका विपक्ष में रहकर कांग्रेस ने जमकर विरोध भी किया| लेकिन चुनावी समय में यह मुद्दा गायब है| पुलिस की बॉर्डर एरिया पर खासी नजर है, लेकिन खुले तौर पर हो रहे अवैध रेत खनन को रोकने में पुलिस कर्मी दिलचस्पी नहीं लेते हैं। राजस्थान में धौलपुर को मध्य प्रदेश में मुरैना से जोड़ने वाला राजघाट पुल एक अच्छी जगह है जहाँ से चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य को देखा जा सकता है। लेकिन यहां रेत उत्खनन से पर्यावरण को नुक्सान हो रहा है और न सिर्फ नदियों की हालत दयनीय है बल्कि वन्यप्राणियों पर भी खतरा है| रेत के ट्रक लोड किए जा रहे हैं; और खनन के कारण नदी का तट कुछ हिस्सों में पूरी तरह से ढह गया है। अंग्रेजी अखबार की खबर में भी इस बात का जिक्र किया गया है| यहां खनन की अधिकांश गतिविधि रात में होती है। दिन में, ट्रक चंबल बैंक के पास या राजमार्ग के पास रेत के टीले जमा करते हैं ताकि इसे आसानी से लोड किया जा सके और निर्माण परियोजनाओं के लिए पास के शहरों में पहुंचाया जा सके। चंबल के बीहड़ों के माध्यम से कच्ची सड़कें हैं, जो ट्रकों का नेतृत्व करती हैं, यहां तक कि बैंकों तक जाने वाली कंपनी (बाद में जेसीबी के रूप में जानी जाती है)। खनिज परिवहन के लिए अतिरिक्त शुल्क के साथ 10,000 में रेत से भरा एक ट्रक बेचने के लिए तैयार हैं। इसमें शामिल मजदूरों को एक छोटे ट्रक को लोड करने के लिए केवल ₹ 500 मिलते हैं। स्थानीय लोग स्वीकार करते हैं कि JCB से कछुए के अंडों को अक्सर खंगालते हैं और कछुए की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है। चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य एरिया से अवैध रेत उत्खनन रोकने में अब तक के प्रयास असफल ही रहे हैं|