भोपाल।
केन्द्र सरकार ने आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के परिवारों को 5 लाख रूपये तक का निशुल्क इलाज देने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। योजना का एक साल पूरा होने के बाद राज्य सरकार की स्टेट हेल्थ एजेंसी ने इस योजना में कुछ जरूरी बदलाव किए हैं। बदलावों के पहले इस योजना में कुछ ऐसे नियम बने हुए थे जिनकी वजह से मरीजों को अस्पतालों में अब तक आधा-अधूरा इलाज ही मिल पाता था। जैसे सड़क एक्सिडेंट में घायल व्यक्ति के सिर का इलाज तो निजी अस्पतालों में आयुष्मान के पैकेज से हो जाता है। लेकिन हड्डियों से संबंधित बीमारियों का ईलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलता है। स्टेट हेल्थ एजेंसी ने इन सभी 1400 पैकेजों की समीक्षा की और सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किए गए 241 पैकेजों को सभी के लिए खोल दिया है। अब मरीज अपनी इच्छा से निजी और सरकारी दोनों जगह इलाज करा सकेंगे।
पुराने नियमों से निजी अस्पतालों में मिलता था आधा अधूरा इलाज
आयुष्मान योजना के तहत ऐसे नियम बने थे कि मरीजों को निजी अस्पतालों में आधा-अधूरा इलाज ही मिल पाता था। और इसी का फायदा निजी अस्पताल उठाते रहते थे। प्रायवेट हॉस्पिटल्स में मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अपनी उनको अपनी जेब से पैसे देने पड़ जाते थे। जैसे पहले आयुष्मान योजना से ब्रेस्ट केंसर की सर्जरी निजी में हो जाती थी। लेकिन कीमोथैरेपी सिर्फ सरकारी अस्पतालों में कराने पर ही आयुष्मान का लाभ मिलता था।
निजी अस्पतालों में लेप्रोस्कोपिक हिस्टेकटॉमी बंद
उज्जैन के गुरूनानक अस्पताल में 547 महिलाओं की बच्चेदानी निकाले जाने का मामला सामने आने के बाद निरामयम मप्र के सीईओ जे विजयकुमार ने सभी प्रकार की लेप्रोस्कोपिक हिस्टेकटॉमी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं। अब सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही आयुष्मान योजना से बच्चेदानी के ऑपरेशन हो सकेंगे। डेंगू, हार्ट अटैक और कैंसर से जुड़े ये इलाज अब ओपन कैटेगरी में हार्ट अटैक का मेडिकल मैनेजमेंट यानि एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी के पहले होने वाली जांचों और दवाओं का लाभ सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलता था। ऐसे ही मेडिकल अंकोलॉजी में ब्लड कैंसर, रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योर बेबी की लेजर थैरेपी सहित ईएनटी के लगभग 46 पैकेजों को अब ओपन कर दिया गया है । डेंगू के इलाज को भी अब ओपन कैटेगरी में शामिल किया गया है।
पैकेज में यह हुए बदलाव
आयुष्मान भारत योजना में कुल 1400 पैकेज से इलाज मिलता है। इनमें पहले सरकारी अस्पतालों के लिए 472 पैकेज रिजर्व थे। अब 241 पैकेज को ओपन फॉर ऑल कर दिया है। 231 पैकेज अभी भी सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किये गये हैं। मरीजों की परेशानियों को देखते हुए कुछ पैकेजों को ओपन कैटेगरी में शामिल किया गया है। इससे मरीज अपनी सुविधा के अनुसार एम्पैनल्ड हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट करा सकेंगे। मॉनिटरिंग सिस्टम को भी मजबूत किया गया है।