Chhatarpur Crime News – 2020 में टूटा रिकॉर्ड, 1 साल में बढ़े 1300 अपराध

Pooja Khodani
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Chhatarpur

छतरपुर, संजय अवस्थी। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर जिले (Chhatarpur) में साल 2019 की तुलना में 2020 में सामान्य अपराधों से लेकर हत्या (Murder), बलात्कार (Rape) और हत्या के प्रयास जैसे अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। 2019 में 43 हत्याएं हुई थीं जो बढ़कर 2020 में 65 तक पहुंच गईं। वही हत्या के प्रयास के मामलों में भी करीब एक दर्जन बढ़ोत्तरी हुई है जबकि पिछले साल के कुल अपराधों (Crime) के आंकड़े वर्तमान वर्ष के आंकड़ों से काफी कम हैं।

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छतरपुर पुलिस (Chhatarpur Police) सूत्रों से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2019 (Year 2019) में हत्या के 43 मामले सामने आए थे। 2020 (Year 2020) में 22 मामले बढ़कर 65 पहुंच गए हैं। हत्या के प्रयास के 51 मामलों की तुलना में इस वर्ष 63 मामले पंजीकृत हुए हैं। हालांकि डकैती व डकैती की तैयारी के एक भी मामले सामने नहीं आए। पिछले साल 2 अपहरण (kidnapping) हुए थे इस साल का आंकड़ा भी दो पर टिका है जबकि अन्य तरह के अपहरणों की संख्या में कमी आयी है।

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पिछले साल यह आंकड़ा 237 था जो इस वर्ष सिमटकर 169 में ठहर गया।गत वर्ष पशु चोरी के 32 प्रकरण दर्ज हुए थे इस वर्ष इन प्रकरणों की संख्या 18 है। बलवा के प्रकरणों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। गत वर्ष बलात्कार के 88 प्रकरण दर्ज हुए इस साल 3 प्रकरणों को बढ़ाकर 91 प्रकरण दर्ज हुए। साधारण चोरी के मामलों में भी कोई खास अंतर नहीं नजर आया।

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गत वर्ष 290 प्रकरण दर्ज हुए और इस वर्ष इनकी संख्या 288 है। अन्य अपराधों में करीब 1300 प्रकरणों की बढ़ोत्तरी हुई है। गत वर्ष 4019 अपराध दर्ज हुए थे इस वर्ष इनकी संख्या 5364 है। गृह भेदन के प्रकरणों में मामूली अंतर नजर आया है। 226 के मुकाबले इस वर्ष 220 प्रकरण दर्ज किए गए। लूट में भी इस वर्ष कमी आई है। गत वर्ष 31 प्रकरण लूट के दर्ज हुए लेकिन इस वर्ष इनकी संख्या 17 है।

कई मामले नहीं होते पंजीबद्ध

पुलिस सूत्रों ने जो आंकड़े दिए हैं उनके मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस वर्ष करीब 1300 मामले अधिक दर्ज किए गए हैं लेकिन इसके बावजूद तमाम ऐसे मामले होते हैं जिन्हें पुलिस द्वारा दर्ज किए जाने पर आनाकानी की जाती है। खासतौर से मारपीट और चोरी के मामलों को तब पंजीबद्ध किया जाता है जब या तो वरिष्ठ अधिकारियों का हस्ताक्षेप होता है या फिर राजनैतिक दबाव होता है। हल्के मामले अक्सर जांच में रखे जाते हैं। यदि हर मामले की एफआईआर दर्ज होने के सख्त निर्देश हों तो जो आंकड़े सामने आए हैं उनकी संख्या कहीं और अधिक होगी।


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