बसारी गांव के सैकड़ों किसान आज भी मुआवजे के लिए भटक रहे,किया प्रदर्शन

farmers protest for not getting compensation in chhatarpur

छतरपुर, संजय अवस्थी। फोरलेन में अधिग्रहण हुई भूमि के लिए राजनगर तहसील के बसारी गांव के ग्रामीण मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनके द्वारा मुआवजे के लिए सालों से अधिकारियों भाजपा नेताओं के चक्कर काटे जा रहे हैं, लेकिन किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी। जमीन एनएच में जाने के बाद किसानों के सामने भूखों मरने की नौबत आ चुकी है।

किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन एनएच के अधिकारी गुंडई की दम पर उनकी जमीनों को हथियाना चाहते हैं। उनकी जमीनों का मुआवजा भी नहीं दिया और जमीनों को अधिग्रहण करके काम शुरू कर दिया गया। जब किसान मुआवजे की बात करते हैं तो उन्हें पुलिस का डंडा दिखाया जाता है। परेशान किसान उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में किसानों के साथ छलावा छल कपट किया जा रहा है। अन्नदाता किसान अपने हक पाने के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है, लेकिन किसी भी भाजपा नेता या अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं।

बसारी के पास रहने वाले किसान भगवत दास नत्थू कुशवाहा ,सुनील कुशवाहा, बंटी भाई यादव, भागवत पाल,प्रकाश अहिरवार ,अच्छी भाई यादव ,रामवती यादव ,शिवलाल अहिरवार, हल्का अहिरवार, पार्वती अहिरवार, हरबाई, गणेश अहिरवार, धनवा कुशवाहा ने बताया कि हमारे जैसे दर्जनों किसान मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। किसानों ने कहा कि बसारी ग्राम विशिष्ट ग्राम में आता है, लेकिन इसके बावजूद भी जिला प्रशासन द्वारा एनएच द्वारा उनके साथ मुआवजा राशि में भेदभाव किया गया। कुछ लोगों को 2,00,000 रुपए हेक्टेयर मुआवजा दिया गया, लेकिन गरीब किसानों को नाम मात्र का मुआवजा दिया गया

इतना ही नहीं किसान अपनी जमीन का मुआवजा पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। उसकी जमीनों पर निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है। संगीता पत्नी दुर्जन लाल ने बताया कि खसरा नंबर 2884 रकबा 80 हेक्टेयर भूमि एनएच में अधिग्रहण की गई है जिसका मुआवजा ₹10,401 मिला है वही जमुना प्रसाद पिता कुटवा ने बताया कि 56 बटा 3 का बटे रकबा 390 हेक्टेयर अधिग्रहण की गई भूमि का मुआवजा 87,336 बनाया गया।

तबला पिता कटवा चौहान ने बताया कि खसरा नंबर 2858 बटे एक रकबा 190 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की गई इसके अलावा रामस्वरूप कलुवा रमन की 80 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की गई, जिसका मुआवजा 10,407 बनाया गया कौन तो ऐसे हैं, जिनका अवार्ड भी नहीं बनाया गया और उनकी जमीन अधिग्रहण कर ली गई जमीन अधिग्रहण होने के बाद अन्नदाता किसान मुआवजा की राशि पाने के लिए भटक रहे हैं। सांसद वीडी शर्मा से भी किसानों ने कई बार शिकायतें की लेकिन बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नहीं मिला।

किसानों ने कहा कि अगर उनकी जमीनों का मुआवजा नहीं दिया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगे किसान ने कहा कि उनके सामने भूखों मरने की नौबत, वैसे ही है कई सालों से मुआवजा की राशि के लिए परेशान हैं। जमीन पर जिला प्रशासन वाले ने सारा काम शुरू करा दिया गया। अब कहां जाएं उन्होंने कहा कि उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिला तो वह आत्मदाह करेंगे जिसका जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान जिला प्रशासन एनएच अधिकारी होंगे।

उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार किसानों की सरकार बताती है दूसरी तरफ किसानों के साथ हो रहे अन्याय अत्याचार कि कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है महिला किसानों ने बताया कि दलाल सक्रिय घूम रहे हैं दलाल आकर कहते हैं कि 10 परसेंट राशि में दो तो तुम्हारा काम अभी हो जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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