बुंदेली संस्कृति के रक्षक थे महाराजा छत्रसाल, उनके जीवन दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने आगे आए समाज

छतरपुर, संजय अवस्थी| महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान की वार्षिक साधारण सभा के आयोजन के साथ एक बार फिर संस्थान के पदाधिकारियों और सदस्यों ने महाराजा छत्रसाल के जीवन दर्शन को देश भर में पहुंचाने का पुरजोर संकल्प लेते हुए आगामी वर्ष की रणनीति बनाई। धुबेला रिसोर्ट के सभागार में आयोजित इस साधारण सभा के मुख्य अतिथि छतरपुर रेंज के डीआईजी विवेकराज सिंह रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग कार्यवाहक वीरेन्द्र असाटी ने की। मंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विद्या भारती के डॉ. पवन तिवारी, संस्थान के संरक्षक गोविंद ङ्क्षसह बुंदेला, अध्यक्ष भगवत शरण अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रदेश एवं अन्य राज्यों से आए महत्वपूर्ण नागरिकों ने हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि डीआईजी विवेक राज सिंह ने कहा कि महाराजा छत्रसाल का संपूर्ण जीवन मुझे प्रेरणा देता है। बुंदेलखंड से ताल्लुक होने के कारण मैंने उनके विषय में जितना पढ़ा है उससे यह प्रतीत होता है कि मानवता की सेवा और संस्कृति की रक्षा के लिए जो योगदान उन्होंने दिया वह किसी अन्य शासक ने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनके ऐतहासिक व्यक्तित्व और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए समाज के हर तबके को अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने मऊसहानियां में स्थित महाराजा छत्रसाल शौर्य पीठ के आसपास मौजूद स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत पर भी जोर दिया। आरएसएस के विभाग कार्यवाह वीरेन्द्र असाटी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि महाराजा छत्रसाल ने अपने जीवन में 52 युद्ध लड़े और उन्हीं युद्धों का योगदान है कि आज हम अपने बुंदेली परंपरा, संस्कृति और उत्सवों को बचा पाए। उन्होंने कहा कि संस्थान ने उनके जीवन दर्शन से जल संरक्षण, सामाजिक समरसता को अपनाने का काम किया है। उन्होंने आगामी दिनों में इस स्थान को पर्यटन स्थल बनाने का सुझाव दिया जिससे उक्त स्थल को देशव्यापी पहचान मिले। उत्तर-पूर्व राज्यों में विद्या भारती के लिए सेवाएं दे रहे डॉ. पवन तिवारी ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि सिर्फ 5 वर्षों में महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान के द्वारा मऊसहानियां में उनकी 51 फिट ऊंची प्रतिमा की स्थापना से लेकर सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन और सरसंघ चालक मोहन भागवत के करकमलों से प्रतिमा का लोकार्पण ऐसे अनेक कार्य हैं जो इस बात के प्रतीक हैं कि संस्थान को समाज का खूब सहयोग मिला है। बुंदेलखंड के लोगों ने अपने पुरुषार्थ और पराक्रम से 5 वर्ष में ही कई उपलब्धियां हासिल की हैं किन्तु उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें लक्ष्य को हासिल करने के लिए निरंतर काम करने की आवश्यकता है। संस्थान से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. डॉ. बहादुर सिंह परमार ने अपने संबोधन में किताबों के लेखन और महाराजा छत्रसाल के नाम पर बुंदेली संस्कृति से संपन्न एक पुस्तकालय स्थापित करने का सुझाव दिया। इसी तरह ओरछा से आए कवि सुमित मिश्रा ने एक कविता के जरिए महाराजा छत्रसाल की वीरता को याद किया साथ ही एक सुझाव दिया कि संस्थान भी महाराणा प्रताप के आर्थिक सहयोगी भामाशाह की तर्ज पर महाराजा छत्रसाल के आर्थिक सहयोगी महाबली तेली के नाम पर एक सालाना पुरुस्कार पर विचार करे। कार्यक्रम में कवियत्री नम्रता जैन ने भी एक कविता सच्चाई शौर्य वीरता की ढाल हुए थे बुंदेल केसरी वो छत्रसाल हुए थे, के माध्यम से महाराजा छत्रसाल को याद किया और युवाओं से अपील करते हुए कहा कि उनके जीवन से प्रेरणा लें। इस अवसर पर संस्थान के सचिव राकेश शुक्ला राधे के द्वारा विगत वर्ष संस्थान द्वारा किए गए कार्यक्रम जैसे संक्रांति मेला आयोजन, अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन, शस्त्र पूजन सहित अनेक कार्यों का विवरण दिया। उन्होंने वार्षिक प्रतिवेदन के माध्यम से विगत वर्षों में हुए निर्णयों की भी जानकारी ली।

संस्थान के कोषाध्यक्ष प्राचार्य अनिल अग्रवाल ने वर्ष भर के आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में मौजूद नागरिकों ने भी अपने सुझाव व्यक्त किए। कार्यक्रम के शुभारंभ में महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन किया गया तो वहीं समापन पर इस वर्ष दिवंगत हुए बुंदेली लोक संस्कृति के संवाहक गायक देशराज पटैरिया सहित देश की अन्य दिवंगत विभूतियों को नमन किया गया। अंत में संस्थान के अध्यक्ष भगवत शरण अग्रवाल ने सभी उपस्थित नागरिकों को आश्वासन दिया कि संस्थान आप सभी से प्राप्त सुझावों पर आगे बढ़ेगा। आभार प्रदर्शन संस्था के सहसचिव जयदेव सिंह बुंदेला ने किया। अतिथियों का स्वागत सहसचिव विनय चौरसिया, उपाध्यक्ष धीरेन्द्र शिवहरे, सुशील वैध, हर्ष अग्रवाल, आशीष ताम्रकार, दृगेन्द्र ङ्क्षसह सहित अन्य लोगों ने किया। इस अवसर पर आरएसएस के विभाग प्रचारक राजेन्द्र द्विवेदी, विष्णुदत्त चतुर्वेदी सहित विभिन्न वर्गों के 50 से अधिक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। बैठक के उपरांत भी नागरिकों ने शौर्यपीठ पहुंचकर महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।


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