सलुझी अपहरण की गुत्थी, किडनैपर्स को फिरौती की रकम के साथ इस जिले की पुलिस ने किया गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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छतरपुर, संजय अवस्थी

जिले में 1 करोड की फिरौती के लिये छह साल के प्रोपर्टी डीलर के मासूम बेटे अभि के अपहरण की गुत्थी सुलझ गई है। पांच अपहरणकर्ताओं को पुलिस ने फिरौती की रकम के साथ गिरफ्तार कर लिया है। सिविल लाईन थाना के चौबे कालोनी में दोपहर में घर के बाहर खेल रहे अभि को अपहरणकर्ताओं ने किडनैप कर लिया था। किडनैप करने के बाद अपहरणकर्ताओं ने अभि के पिता से एक करोड़ की फिरौती मांगी थी। साथ ही पैसे न देने पर अभी की हत्या की धमकी दी थी ।

मासूम बच्चे के अपहरण की सूचना पर पुलिस ने प्रोपर्टी डीलर भास्कर तिवारी के नौकर को हिरासत में लेकर पूछताछ की, इस बीच रात में प्रोपर्टी डीलर अपने घर के ज्वैलरी और कैश लेकर अपहरणकर्ताओं को देकर वापिस आ गये। मासूम के सकुशल घर पहुंचने के बाद पुलिस ने आज चार आरोपियों में से दो अरोपियों को खोप निवारी के जंगल से गिरफ्तार किया है। बाकि के दो आरोपियों को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस को सौप दिया है।

पुलिस पांचो अपहरणकर्ताओं से हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है ,वही फिरौती की रकम भी पुलिस ने बरामद कर ली है। मासूम को बचाने और फिरौती दिये जाने की बात पर सागर के आईजी अनिल शर्मा ने इसे पुलिस की स्कीम बता रहे है। पुलिस का कहना है कि सबसे पहली प्राथमिकता थी कि अभि को सकुशल वापस लाना है। वही अभि के घर सकुशल वापस आने पर परिजन पुलिस का धन्यवाद कर रहे है। इस पूरे अपहरण कांड का मास्टर माइंड भास्कर तिवारी का ड्राइवर नीरज राय, और उनका नौकर जगन सेन बताया गया है,इस अपहरण के पीछे आरोपियों को नशे की लत का होना है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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