छिंदवाड़ा, विनय जोशी। परासिया वेकोलि के केंद्रीय चिकित्सालय बड़कुही में खदान कर्मचारियों के परिजनों के इलाज को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। एक ओर जहां प्रभावशाली कर्मचारी के परिजनों को जांच और इलाज के लिए अस्पताल से नागपुर भेजा जाता है, लेकिन वहीं ऐसे सामान्य कर्मचारी हैं जो परिजनों के इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं।
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ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसमें खदान कर्मचारी की पत्नी केंद्रीय चिकित्सालय में लगातार छह महीने तक भर्ती रही लेकिन उसे नागपुर के अस्पताल में जांच और उपचार के लिए नहीं भेजा गया। आखिरकार परेशान होकर कर्मचारी को अपने खर्चे पर निजी नर्सिंग होम में पत्नी का इलाज कराना पड़ा। ये पूरा मामला तब सामने आया जब अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आयोग के राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त सदस्य गुरुचरण खरे ने जीएम के साथ बैठक ली। जिस पर अयोग सदस्य ने इस तरह की लापरवाही दोबारा नहीं होने के बारे में कहा। राज्य सरकार के आयोग सदस्य ने बैठक में परासिया से नेहरिया तक खराब सड़क को बनाने के बारे में जब महाप्रबंधक निर्मल कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण के लिए राष्ट्रीय राज्य मार्ग विभाग को 70 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, अगर प्रस्ताव स्वीकृत होता है तो फिर सड़क बनाई जाएगी।
आयोग सदस्य ने सीएसआर की राशि से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 वर्ष पूर्व किए गए निर्माण कार्य और वर्तमान में चल रहे कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने पेंच क्षेत्र में कंपनी के मकानों एवं कितने कर्मचारियों को मकान नहीं मिले हैं, तथा कितने लोगों को मकान किराया दिया जा रहा है इसकी भी जानकारी ली। बैठक में जीएम ने बताया कि क्षेत्र में 3112 कर्मचारी हैं। जिसमें अनुसूचित जाति के 632 और जनजाति के 400 कर्मचारी हैं। वहीं उनकी पदोन्नति के बारे में भी आयोग सदस्य ने जानकारी ली। इसके अलावा खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण को लेकर कितने भू स्वामियों को नौकरी दी गई है इस बारे में भी जानकारी ली।
बैठक में विभिन्न मुद्दों की जानकारी देने के लिए नागपुर मुख्यालय से जीएमआईआर मनोगरन आए थे। बैठक में क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक पी सुब्रह्मण्यम- बड़कुही अस्पताल की सीएमओ एवं प्रशासनिक अधिकारी सहित अधिकारी उपस्थित थे।