मासूम का अपहरण कर हत्या के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, एक अन्य को उम्रकैद

Atul Saxena
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सतना, डेस्क रिपोर्ट। सतना की एक कोर्ट ने ढाई साल पुराने अपहरण (Kidnepping) और हत्या  (murder)के एक मामले में फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी को फांसी की सजा यानी मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है वहीं अपराध में साथी महिला आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

जानकारी के मुताबिक सतना जिले के नागौद थाना क्षेत्र के गाँव रहिकवारा में 6 साल के मासूम शिवकांत उर्फ लल्ली प्रजापति का उसके पड़ोसी अनुताभ प्रजापति ने घर के बाहर खेलते समय अपहरण कर लिया था। उसके बाद अनुताभ ने लल्ली के चाचा इंद्रजीत को फ़ोन कर 2 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। जिसकी शिकायत इंद्रजीत ने थाना नागौद में की। बच्चे को तलाशा गया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। इसी दौरान अनुताभ ने फिरौती की रकम नहीं मिलने पर लल्ली के गले में फंदा लगाकर उसकी हत्या कर दी और फिर उसके शव को बोरे में बंद कर पानी भरे गड्ढे में फेंक दिया ।

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नागौद पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना में लिया। तत्कालीन थाना प्रभारी अजय सिंह पवार ने अपनी टीम के साथ तफ्तीश शुरू की तो तथ्य निकलकर सामने आया कि आरोपी अनुताभ ने पास में रहने वाली महिला विद्या प्रजापति को 10,000 रुपये का लालच देकर उसकी सिम से फिरौती मांगी थी। नाबालिग के अपहरण और फिर उसकी हत्या की घटना के बाद पुलिस लगातार आरोपियों को तलाशती रही। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या अपहरण और साक्ष्य छिपाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और फिर गिरफ्तार कर 10 जून 2019 को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।

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मामले की सुनवाई कोर्ट में चलती रही। न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश विजय डांगी की कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों की दलीलों को सुनने के बाद घटना को जघन्य अपराध माना और आरोपी अनुताभ प्रजापति को आजीवन कारावास और फांसी ( मृत्युदंड) की सजा सुनाई और आरोपी को सिम उपलब्ध कराने और आरोपी के अपराध में सहयोग कर साक्ष्य छिपाने में मदद करने की आरोपी विद्या प्रजापति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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