कोरोना काल में घातक साबित हो सकता है पटाखों का धुआं, डॉक्टर ने दी दूर रहने की सलाह

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार।कोरोना काल मे बम पटाखों से निकलने वाला धुंआ और भी घातक साबित हो सकता है, खास तौर पर उन लोगो के लिए जो कि कोरोना से ठीक होकर आए है य फिर वो जिन्हें की कोरोना के सिमटम्पस है। ऐसे में जहाँ प्रदूषण विभाग के अधिकारी कोरोना काल मे पटाखों के धुएं से बचने की सलाह दे रहे है तो वही ह्रदयरोग चिकित्सक भी मानते है कि कोरोना काल के समय बम पटाखों से दूर रहना है सेहत के लिए अच्छा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों पर लगाई है रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश मे बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए पटाखों पर रोक लगा दी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से लोगों के फेफड़े कमजोर हैं और बढ़ता हुआ प्रदूषण नई बीमारियों की वजह बन सकता है इसलिए पटाखों पर रोक लगा दी जाए, इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया है कि दिल्ली एनसीआर में 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों पर पूरी तरह से बैन रहेगा। इसके अलावा देश के जिन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब है, वहां पटाखों पर पांबदी रहेगी।

जबलपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति है खराब

बात करे अगर जबलपुर शहर की तो यहाँ पर भी मौसम परिवर्तन के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स पर बदलाव हुआ है।हाल ही में प्रदूषण बोर्ड की जो रिपार्ट आई है उस रिपार्ट में सामान्य व खराब श्रेणी की वायु शहर में है, जिससे कि डस्ट बढ़ रही है। लिहाजा ये हवा भी कोरोना काल मे अस्थमा पीड़ितों के लिए घातक साबित हो सकती है।

जान का हो सकता है खतरा

ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ अनिमेष गुप्ता की माने तो वर्तमान में एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत ही ऊपर चल रहा है, जिसको कंट्रोल करना होगा। क्योंकि पटाखों से ये लेवल और बढ़ जाता है। ऐसे में जब आम व्यक्ति को सांस की परेशानी बढ़ जाती है तो फिर कोरोना काल मे तो और भी खतरा बढ़ सकता है। लिहाजा वायरस भी ऐसे समय मे तेजी से अटैक करता है।

वही ठंड और धुनद भी कोरोना को बढ़ने का एक हथियार होता है जिसे हर कीमत में रोकना जरूरी होता है।वही डॉ अनिमेष बताते है कि दीपावली के पटाखों का धुंआ और कोरोना का हमला ऐसे में इन दोनों ही चीजो से बचने के लिए मास्क के साथ साथ धुंए से बचने की आवश्यकता है।

बीते मार्च 2020 में भारत मे आई कोरोना महामारी ने जिस तरह से हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया है।इस बीमारी को लेकर आप से हमारा अनुरोध है कि इस कोरोना काल मे पटाखों का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि पटाखों का धुआं आपके श्वषन तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है। खास कर कोरोना काल मे तो वायु प्रदूषण और भी खतरनाक साबित हो सकता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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