Dabra News : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने और पारदर्शिता के साथ व्यापार करने के लगातार काम कर रही है लेकिन मंडी प्रशासन से जुड़े कुछ लोग सरकार की इस कोशश को ही पलीता लगाने में लगे हैं, इसका बड़ा उदाहरण डबरा कृषि उपज मंडी हैं जहाँ किसानों के साथ जारी ठगी का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा।
डबरा कृषि उपज मंडी निरंतर सवालों के घेरे में बनी रहती है हालांकि डबरा कृषि उपज मंडी फसल की आवक में सबसे आगे रहती है क्योंकि यहां दूरदराज से किसान अपनी फसल को बेचने के लिए आते हैं। लेकिन मंडी प्रशासन की मनमानी के चलते किसानों के साथ ठगी का खेल जारी है।
चाहे व्यापारियों हो या फिर आड़तिया दोनों से ही किसान परेशान है लेकिन समस्याओं को मंडी प्रशासन क्यों अनदेखा कर रहा है समझ से परे है । सरकार निरंतर किसानों के हित के लिए प्रयास कर रही है लेकिन मंडी तक किसानों की फसल पहुंचते-पहुंचते वह प्रयास सिर्फ और सिर्फ कागजों में दबे रह जाते हैं।
आखिरकार क्यों मंडी प्रशासन किसानों की परेशानियों पर गौर नहीं करता, किसानों का कहना है कि मंडी में डाक बोली नहीं लगाई जाती है मंडी में कच्ची पर्ची बनाकर किसानों की फसल खरीदी जाती है जिससे किसानों को मलाल जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है और ना ही मंडी में फसल की तुलाई का समय निश्चित होता है।
किसानों का कहना है कि वे यहां अपनी फसल बेचने आते हैं और मंडी मैं बिचौलियों का शिकार बन जाते हैं। आज फिर डबरा कृषि उपज मंडी में व्यापारियों, किसान और किसान नेत्री कृष्णा रावत के बीच जमकर बहस हुई। क्योंकि समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डबरा एसडीएम प्रखर सिंह द्वारा दिए मौखिक निर्देश का पालन करते हुए डबरा कृषि उपज मंडी द्वारा एक लेटर जारी किया जिसमें किसानों की समस्या को देखते हुए दर्शाया गया है कि सर्दी का मौसम प्रारंभ होने से मंडी में जींसों की नीलामी की बोली सुबह 8:00 बजे से लगाई जाएगी जिससे किसानों को और व्यापारियों को कोई असुविधा ना हो अगर कोई व्यापारी इससे पहले किसान की फसल तूलाई पूर्ण करता है तो उस पर मंडी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन आज फिर सुबह मंडी में लेटर द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन हुआ जिस पर खुद डबरा मंडी सचिव ने कहा कि अगर कोई व्यापारी मंडी प्रशासन द्वारा बनाए गए नियम तोड़ेगा तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। मंडी में फसल बेचने आए किसान हेमंत रावत चेतावनी ने मंडी प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह किसान पिछले 5, 7 साल से ऐसी समस्याओं का सामना करते आ रहे हैं जिसमें मंडी प्रशासन और व्यापारियों की मिलीभगत है।
कई किसानों ने बताया कि मंडी में डाक होती ही नहीं है वह तो कच्ची पर्चियों पर माल की तौल करवा देते हैं जिससे किसान को एक ट्रॉली पर लगभग 10 से 20000 हजार रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। किसान नेत्री कृष्णा रावत ने भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रशासन अपने नियम और कानून मंडी पर लागू करता है तो उसका नियमित रूप से पालन क्यों नहीं किया जाता उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा हाल ही में जो 8:00 बजे से तुलाई का समय निश्चित किया गया तो फिर उससे पहले तुलाई चालू कैसे हो गई।
उन्होंने कहा कि खुद उन्होंने वहां मौजूद होकर यह कच्ची पर्चियां पकड़ी है जिनको देकर समय से पहले किसानों की फसल तुलवाई जा रही थी। इसमें प्रशासन और व्यापारी की मिलीभगत से यह सब काम चल रहे हैं। क्योंकि कच्ची पर्चियों का खेल मंडी में होने से व्यापारी करोड़ों रुपए टैक्स की चोरी करते हैं जोकि प्रशासन की नजरों में साफ है। लेकिन फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि अगर यह सिलसिला जल्द ही प्रशासन द्वारा नहीं रोका गया तो वह एक बड़ा आंदोलन करेंगे। अब आगे देखा जाएगा कि डबरा कृषि उपज मंडी में चल रही इस कालाबाजारी का खेल कब तक रुकेगा।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट