Dabra News : डबरा एसडीएम और तहसीलदार की रेत के अवैध घाटों पर दबिश, अवैध नाकों में लगाई आग

Gaurav Sharma
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डबरा, सलिल श्रीवास्तव। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रशासन अब सख्त होता दिख रहा है, लगातार दो दिनों से कार्रवाहियों का दौर जारी है। कल भितरवार प्रशासन ने कार्यवाही को अंजाम दिया था तो आज डबरा एसडीएम और तहसीलदार हरकत में आ गए हैं। सबसे पहले उन्होंने कार्यवाही करते हुए चांदपुर और रायपुर पर लगे अवैध नाकों को उखाड़ा और फिर जला दिया। रेत ठेकेदारों के लोग मौके से भाग गए।

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आपको बता दें कि ग्वालियर जिले में रेत का ठेका एमपी सेल्स के पास है जिसमें बीते 2 दिनों से विवाद का दौर जारी है। कंपनी के मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपनी हिस्सेदारी बेच दी है जिसके कारण पुराने पार्ट्नर में विवाद खड़ा हो चुका है और बाहरी लोग नाके पर आकर कब्जा जमाने में जुट गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन हरकत में आ गया है जिसके चलते आज डबरा एसडीएम प्रदीप शर्मा के नेतृत्व में तहसीलदार दीपक शुक्ला ने इस प्रकार की कार्यवाही को अंजाम दिया। यहां आपको यह भी बता दें कि कंपनी को लगभग 6 करोड़ की किस्त शासन को भरनी है जो अभी तक नहीं भरी गई है। इस सब के बावजूद भी रेत ठेकेदार अपनी मर्जी से बिना रॉयल्टी के गेट पास बनाकर बड़े डमफ़र और ट्रैक्टर ट्रॉलियां निकाल रहे हैं।

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अनुभाग के चांदपुर, रायपुर, लिधौरा,बाबूपुर, सेमरी, सिली आदि घाटों से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन जारी है। प्रशासन को यदि उन पर अंकुश लगाना ही है तो इन बड़े घाटों पर भी कार्यवाही करनी होगी। अगर ऐसा करने में देरी होती है तो किसी भी गंभीर स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकी ठेकेदारों के विवाद के चलते बाहरी लोग अब इस क्षेत्र में आ गए हैं और बंदूकों के दम पर नाको पर बैठे हुए हैं। प्रशासन को अवैध उत्खनन रोकना ही है तो प्रशासन को घाटों पर कार्रवाही करना होगी वरना रेत का अवैध परिवहन ऐसे ही जारी रहेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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