भिखारियों वाला गांव अब बना रहा नई पहचान, सरपंच की कोशिशों से बदली तस्वीर

दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव भिखारियों वाले गांव के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह गांव अब यहां के जनप्रतिनिधि की मेहनत से एक नई पहचान बनाने की ओर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, यहां पर सरपंच की इच्छाशक्ति के चलते जहां गांव की सूरत बदली है वहीं आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वो लोग जो कभी भीख मांगने को मजबूर थे, अब स्वरोजगार अपना रहे हैं।

दमोह जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित है तिदोनी नामक ग्राम। यह गांव नट समुदाय के लोगों द्वारा की जाने वाली भिक्षावृत्ति के कार्य के कारण भिखारियों के गांव के नाम से जाना जाता था। लेकिन यहां के एक जनप्रतिनिधि की मेहनत के चलते यह गांव अब नई पहचान की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत यहां पर गांव की सरपंच द्वारा स्वरोजगार की मुहिम चलाई जा रही है, और यही कारण है कि अभी यहां पर विशेष रूप से महिलाओं के लिए स्वरोजगार के द्वार खोले गए हैं।

आजीविका मिशन के माध्यम से यहां की महिलाएं गोबर से विभिन्न उत्पादों का निर्माण कर रही हैं। वर्तमान में यह महिलाएं गोबर से दीपावली के लिए दीये, भगवान की मूर्तियां, शुभ लाभ सहित अन्य पूजन की सामग्री बना रही है। यहां की महिलाओं का मानना है कि इन उत्पादों का निर्माण कर वे अपना जीवन यापन करेंगी और आगामी दिनों में अन्य तरह के उत्पादों का निर्माण कर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाएंगी। वहीं सरपंच द्वारा गांव में नवाचार की बात कही जा रही है। कलेक्टर भी इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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