दमोह में दर्दनाक हादसा, दो मासूमों की जिंदा जलकर मौत, पढ़े पूरी खबर

Amit Sengar
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Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले के देहात थाना क्षेत्र के झिरा गांव में शनिवार दोपहर घांस फूस की झोपड़ी में आग लगने से उसके अंदर मौजूद दो बच्चों की दर्दनाक तरीके से जलकर मौत हो गई। घटना के वक्त पास में ही मां पानी भरने गई थी। इसी दौरान यह हादसा हो गया। मां ने झोपड़ी में आग की लपटें उठते देखी तो स्थानीय लोगों को मदद के लिए बुलाया और पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन तब तक दोनों बच्चे मृत हो चुके थे। और हादसे के बाद इलाके में मातम छाया हुआ है।

यह है पूरा मामला

बता दें कि जिले के नरसिंहगढ चौकी अंतर्गत आने वाले झिरा गावँ में ये दर्दनाक हादसा हुआ। झिरा गावँ में एक खेत मे मजदूरी करने वाला भगवानदास रावत का परिवार झोपड़ी बनाकर रहता है। इस झोपड़ी में भगवानदास की पत्नी खाना पका रही थी तभी अचानक चूल्हे की आग की चिंगारी झोपड़ी में लग गई और देखते ही देखते झोपड़ी ने आग पकड़ ली, झोपड़ी के अंदर ही दो मासूम तीन साल की लड़की ऋषिका और तीन महीने का बेटा बाबू लेटा हुआ था। इन बच्चों की मां पानी लेने गई इसी दौरान आंग की चिंगारी से झोपड़ी में आग लग गई और कुछ ही देर में पूरी झाेपड़ी से आग की लपटें उठने लगी। मां ने झोपड़ी से आग उठते देखी तो आसपास रहने वाले लोगों को बुलाया साथ ही अपने पति के पास खबर भिजवाई। स्थानीय लोगों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन पूरी झोपड़ी आग में जलकर खाक हो गई और उसके अंदर मौजूद दोनों बच्चों की जिंदा जलने से मौत हो गई। वही ज़िंदा जले मासूमो के शव शवगृह में बुरी हालत में पहुंच गए। और अपनी आंखों के सामने दोनों बच्चों को जिंदा जलता देख मां सहम गई और उसका रो रोकर बुरा हाल है। वहीं पिता भी बेसुध है।

पुलिस कर रही है मामले की जाँच

घटना की सूचना के बाद नरसिंहगढ़ पुलिस मौके पर पहुंची है और मामले की जाँच कर रही है। दमोह के एस पी राकेश कुमार सिंह के मुताबिक पूरे मामले जांच की जा रही है, झोपड़ी में खाना पकाते वक़्त आग लगी जिस वजह से दोनों मासूमो की जान गई है, इस मामले की जांच की जा रही है वहीं गरीब मजदूर परिवार को मदद के लिए भी कलेक्टर कार्यवाही कर रहे हैं।
दमोह से आशीष कुमार जैन की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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