Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है जब बेटे के माता पिता उसके क्रियाकर्म के लिए पुलिस से उसकी अस्थियां मांग रहे हैं लेकिन पुलिस उन्हें अस्थियां नही दे रही है। अस्थियां मांगने की प्रक्रिया को दो महीने से ज्यादा का वक़्त हो गया हैं और एक पिता अपने बेटे का अंतिम संस्कार तक न कर पाने के लिए मजबूर है। अस्थियां न देने के पीछे की वजह मृतक बच्चे और माता पिता का डीएनए मैच न कर पाना है।
क्या है पूरा मामला देखिए इस खास रिपोर्ट में…
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया थाने के तहत आने वाले पिपरिया छक्का गावँ में रहने वाले बड़े किसान लक्ष्मण पटेल का इकलौता बेटा जय राज पटेल दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था और दमोह के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ता था, बीते 29 मार्च को जय राज अपने गावँ पिपरिया में था और अचानक गायब हो गया, परिवार के लोगों ने तलाश की लेकिन बच्चा नही मिला। पथरिया पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई , पुलिस तलाश में जुटी थी और पीड़ित परिवार ने जिले भर में पोस्टर लगाकर पता लगाने वाले को पांच लाख का ईनाम देने की घोषणा भी की। लेकिन ये सब काम नही आया। बीते 14 मई को पिपरिया गावँ में ही एक खेत मे नरकंकाल बरामद हुआ और उसके पास कपड़े भी मिले जिसे लापता बच्चे के माता पिता ने पहचान लिया और वो ये मान रहे हैं की ये नर कंकाल उनके बेटे का ही है, लेकिन पुलिस ये मानने को तैयार नही है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनके परिवार में ही जमीन को लेकर विवाद है औऱ उनके अपनो ने ही एकलौते बेटे को मौत के घाट उतारा है।
अमूमन ऐसे मामलों में मृतक की शिनाख्ती के बाद शव या नरकंकाल मिंलने की दशा में उन्हें परिजनों को सौंप दिया जाता है लेकिन इस बार दमोह पुलिस इन अस्थियों को परिवार वालों को नही दे रही है और वक़्त भी 14 मई से अब जुलाई तक का लंबा हो गया है।
अब सवाल उठता है कि आखिर पुलिस ऐसा क्यों कर रही है तो वजह बेहद अजीबो गरीब नही बल्कि विचार करने वाली है। दरअसल नरकंकाल और लक्ष्मण पटेल और उनकी पत्नि का डीएनए नही मिल रहा है। पुलिस ने बकायदा डीएनए कराया लेकिन वो मैच नही हुआ लिहाजा पुलिस अस्थियां देने में कतरा ही नही रही बल्कि उसके पास कानूनी उलझन भी है। अब फिर सवाल उठता है कि आखिर डीएनए मैच क्यों नही हुआ तो मामला फिर रोचक हो जाता है। दरसल जय राज का जन्म टेस्ट ट्यूब बेबी के जरिये हुआ था। साल 2004 में लक्ष्मण और उनकी पत्नि यशोदा की शादी हुई और चार साल बाद जब बच्चा नही हुआ तो उन्होंने इंदौर के एक आई वी एफ अस्पताल की शरण ली। यहां आई वी एफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक से लक्ष्मण की पत्नी को गर्भ धारण कराया गया और 2008 में उन्होंने जय राज को जन्म दिया। इस दम्पत्ति के पास फिलहाल वो दस्तावेज भी नही है जो ये साबित करें कि उनके बेटे का जन्म इस पद्धति से हुआ औऱ डीएनए भी नही मिल रहा लिहाजा पुलिस अस्थियों को नही दे पा रही है। हालांकि पुलिस शांत नही बैठी है बल्कि कई स्तर पर जांच पड़ताल कराने के बाद अब अस्थियों को चंडीगढ़ भेजा गया है।
इस मामले की जांच करें तो यदि महिला के गर्भ में अंडे नहीं बनते हैं तो डोनेट करके लिया जाता है। ऐसे ही यदि पति के वीर्य में स्पर्म नहीं बनते हैं तो उसे भी डोनेट करके लिया जाता है। कभी ऐसी स्थिति बनती है, जिसमें पति के स्पर्म के गर्भाशय में अंडे नहीं बनते हैं। तब दोनों डोनेट करके लिए जाते हैं। इन्हें लेते समय पति-पत्नी को बता दिया जाता है कि स्पर्म और अंडे किसके हैं। इसका रिकार्ड भी संबंधित अस्प्ताल को रखना होता है , नरकंकाल मिंलने और फिर लक्षमण पटेल द्वारा उंस पर दावा किये जाने के बाद दमोह पुलिस इंदौर के उंस आई वी एफ अस्प्ताल भी गई लेकिन रिकार्ड नही मिला। और अब फिर दमोह जिले की पुलिस इंदौर रिकार्ड खंगालने जायेगी। इन पूरी प्रक्रिया पर डॉक्टर का क्या कहना है जानिए।
अब साफ है कि जिस आई वी एफ पद्धती से ये टेस्ट ट्यूब बेबी हुआ उसमे पुरूष या महिला के अंडे या शुक्राणु लक्ष्मण या यशोदा के नही थे लिहाजा उनका डीएनए मिलना संभव नही है, वहीं इंदौर का अस्प्ताल प्रबंधन रिकार्ड नही दे पा रहा है ऐसे में पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई है तो एक माता पिता मन्नतों के बाद आधुनिक तकनीक से बेटे को जन्म देने के बाद उसे खो चुके और अब धार्मिक रीतिरिवाज के तहत उसका क्रियाकर्म भी नही कर पा रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस को भी इस अंधे कांड की गुत्थी सुलझाना टेडी खीर है कि जय राज की हत्या हुई कोई दुर्घटना हुई या पुलिस को गुमराह करने किसी और का नर कंकाल खेत मे डाल दिया।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट