दमोह : चुनाव में हारे प्रत्याशी ने बुलाई पैसे वापस मांगने के लिए पंचायत, जानें पूरा मामला

Amit Sengar
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दमोह,आशीष कुमार जैन। मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव और उसमें जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगते रहे हैं तो सूबे में बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त के आरोप लगते रहे हैं, मामला कहीं सिद्ध नही हुआ लेकिन अब दमोह से आई एक सनसनीखेज खबर ने इन आरोपों पर मुहर लगा दी है कि इन चुनाव में बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त हुई है।

बता दें कि इसका खुलासा दमोह (damoh) में हुई लोधी समाज की पंचायत में हुआ है जब लोधी समाज के लोग एक जिला पंचायत सदस्य से दूसरे सदस्य द्वारा दिये गए पैसों को वापस करने का दबाव बनाते रहे और ये सब प्रदेश सरकार द्वारा केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त लॉजिस्टिक कार्पोरेशन के चेयरमेन राहुल सिंह के सामने हुआ है। दरअसल पूरा मामला कुछ इस तरह से है कि दमोह के जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए भाजपा से कांग्रेस में आये ऋषि लोधी की माँ जमना देवी  और कांग्रेस के नेता गौरव पटेल की पत्नी रंजीता पटेल के बीच मुकाबला हुआ और रंजीता ने अध्यक्ष पद के लिए जीत हासिल कर ली। लेकिन इसके पीछे की कहानी का खुलासा अब हुआ जब ऋषि लोधी ने साफ किया कि अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने अपनी समाज यानी लोधी समाज के जिला पंचायत सदस्यों के लिए इकट्ठा किया था उनमें से एक दृगपाल लोधी थे।

दृगपाल को अध्यक्ष पद के लिए वोट देने उन्होंने चालीस लाख रुपये दिए। ऋषि लोधी की माँ जमना देवी चुनाव हार गई तो अब वो अपने पैसे वापस मांग रहे हैं। कई दिनों से दृगपाल लोधी से पैसे मांगने के बाद भी जब उन्होंने मोटी रकम नही चुकाई तो आखिरकार गुरुवार को जिला पंचायत सदस्य दृगपाल लोधी के गाँव दतला मे लोधी समाज की पंचायत बुलाई गई और इसका नेतृत्व वेयरहाउस लॉजिस्टिक कारपोरेशन के कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त चेयरमेन राहुल लोधी  ने किया। इस पंचायत में खुलकर लेनदेन की बातें हुईं और दृगपाल लोधी द्वारा लिए गए चालीस लाख रुपयों को वापस करने की बात समाज के सभी लोग करते रहे।

इस पंचायत में पैसे लेने वाले दृगपाल लोधी ने स्वीकार किया कि उन्होंने रकम ली लेकिन उन्होंने वोट ऋषि लोधी की माँ को दिया है उनकी अपेक्षा उपाध्यक्ष बनने की थी लेकिन वो नही बन पाये और जब अध्यक्ष के लिए उन्होंने वोट दिया है तो पैसे वापस करने का सवाल ही नही उठता। इतना ही नही इस पंचायत में लोधी समाज से आने वाले एक और जिला पंचायत सदस्य राव ब्रजेन्द्र सिंह का नाम भी आया और समाज के लोगों ने कहा कि ब्रजेन्द्र रकम वापस करबे तैयार है और पहली किश्त दस लाख रुपये जल्दी ही देंगे और बाकी बाद में।

इस पंचायत से मीडिया को दूर रखा गया लेकिन पंचायत में मौजूद लोगों ने वीडियो बनाकर इन्हें सोशल मीडिया पर वायरल किया और अब ये मामला तूल पकड़ रहा है। वीडियो में खरीद फरोख्त की बातें और मोटी रकम लिए जाने की बात साफ हो रही है और ये भी साफ हो गया कि अध्यक्ष के निर्वाचन में लाखों नही बल्कि करोड़ो रूपये बहाए गए हैं।

अब जरा जानिए की ऋषि लोधी और दृगपाल लोधी कौन है? ऋषि एक जमाने मे भाजपा के कद्दावर नेता थे और प्रदेश भाजपा में मंत्री रहते हुए प्रदेश की राजनीति में सक्रिय थे । ऋषि दमोह जिले की जबेरा सीट से विधानसभा टिकिट के दावेदार भी थे लेकिन स्थानीय दमोह सांसद और केंदीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल से अनबन की वजह से ऋषि का टिकिट कट गया और 2018 के चुनाव में ऋषि ने कॉंग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में रहते हुए ऋषि को ज्यादा महत्व न मिलने के बाद भी वो कांग्रेस में ही रहे। ऋषि की माँ जिला पंचायत सदस्य बनी तो उन्होंने अध्यक्ष पद की दावेदारी की लेकिन कांग्रेस ने रंजीता गौरव पटेल को अधिकृत प्रत्याशी बनाया और वो जीत भी गई।

इस चुनाव में भाजपा के द्वारा घोषित प्रत्याशी पूर्व सांसद चंद्रभान सिंह की पत्नी जानकी  नामांकन तक नही भर पाई और मुकाबले से बाहर हो गई। वही दृगपाल लोधी दो साल पहले सुर्खियों में आये जब दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने भाजपा की सदस्यता ली और पहली बार दमोह आने पर दृगपाल ने राहुल लोधी पर स्याही और जूते फैंके थे जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और दृगपाल खुद को क्रांतिकारी बताते हुए सक्रिय हुए। दृगपाल को मिली पब्लिसिटी के बाद वो जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत गए। चुनाव जीतने के बाद दृगपाल उपाध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें महज दो वोट ही मिले। इतना ही नही बीते दिनों सूबे में प्रीतम लोधी विवाद मामले में दृगपाल साधु संतो और ब्राह्मण समाज पर अशोभनीय टिप्पड़ी सार्वजनिक तौर पर करते रहे लेकिन अव दृगपाल का चेहरा भी लोगों को नजर आ गया कि क्रांतिकारी असल मे भ्रष्टाचारी साबित हुआ। लोधी समाज की पंचायत के ये वीडियो सामने आने के बाद मामला साफ है कि पंचायत चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग यानी खरीद फरोख्त जमकर हुई है। ऐसे में अब सरकार का कदम क्या होगा देखना होगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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