दमोह जिला अस्पताल में महिलाओं के बीच मारपीट, वीडियो वायरल

Gaurav Sharma
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dispute in damoh

दमोह,गणेश अग्रवाल। दमोह जिला अस्पताल परिसर में दो परिवारों की महिलाओं के बीच मारपीट का वीडियो सामने आया  है।  शासकीय अस्पताल के परिसर में काफी देर तक महिलाओं के बीच मारपीट चलती रही, तो उन्हें बचाने के लिए उन्हीं के परिवार के लोग सामने आए। लेकिन अन्य लोगों ने इन लोगों के बीच बीचबचाव की कोशिश नहीं की, हालांकि इनके बीच मारपीट किसी भी बात को लेकर बताई जा रही है। वही दोनों पक्षों ने पुराने विवाद की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

दमोह कोतवाली थाना अंतर्गत कुचबंदिया समुदाय के लोग निवास करते हैं।जिला अस्पताल के सामने यह लोग तालाब के किनारे रहते हैं। किसी बात को लेकर दो परिवारों के बीच विवाद हो गया था। पुलिस में शिकायत किए जाने के बाद यह लोग एमएलसी कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे।

इसी दौरान दोनों ही परिवार की महिलाएं जिला अस्पताल पहुंच गई। जहां पर उनके बीच कहासुनी हो गई। देखते ही देखते दोनों ही पक्ष की महिलाओं के बीच मारपीट शुरू हो गई। काफी देर तक यह मारपीट चलती रही और उसी समुदाय के लोग ही बीच बचाव करती रहे।

 

महिलाओं के बीच मारपीट होने के दौरान वहां पर लोगों का मजमा लगा रहा, लेकिन किसी ने भी इस लड़ाई को समझाने की कोशिश नहीं की। हालांकि काफी देर तक महिलाओं के बीच हुई मारपीट के बाद मामला अपने आप शांत हो गया। क्योंकि अन्य मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी थी।

वहीं इस मारपीट के बाद पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई।लेकिन देर तक जिला अस्पताल में महिलाओं के बीच युद्ध जैसे हालात बनते नजर आए। इस मामले पर किसी भी पक्ष ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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